अंतिम सोमवारी को मंदिर के बाहर ही श्रृद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

मधेपुरा। सावन माह की अंतिम सोमवारी को श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में ही बाबा भोलेनाथ की प

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 11:46 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:10 AM (IST)
अंतिम सोमवारी को मंदिर के बाहर ही श्रृद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना
अंतिम सोमवारी को मंदिर के बाहर ही श्रृद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

मधेपुरा। सावन माह की अंतिम सोमवारी को श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों में ही बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की। श्रद्धालुओं के बीच भक्ति भावना के साथ जबरदस्त उत्साह था। श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर से ही भोलेनाथ का दर्शन कर अपनी हाजरी बाबा के दरबार में लगाई। साथ ही अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अर्जी लगाकर क्षमा याचना की। श्रृद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना कर पवित्र सावन को विदाई दी।

मालूम हो कि वैश्विक महामारी के जारी लॉकडाउन के मद्देनजर प्रशासन की ओर से इस वर्ष मंदिरों व शिवालयों में बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना व जलार्पण को लेकर रोक लगाई है। इस कारण इस बार सावन के पवित्र माह में प्रखंड क्षेत्र के मुख्यालय स्थित सबसे चर्चित पुरंधरनाथ मंदिर, कुरसंडी पंचायत के बासुदेवपुर स्थित सिद्धेश्वर नाथ मंदिर, बथनाहा के भूतेश्वर नाथ मंदिर, औराय मंदिर सहित सभी शिव मंदिरों में वहां के पुरोहितों ने सावन के पांचवें एवं अंतिम सोमवारी की विशेष पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की। सावन माह में वैश्विक महामारी को लेकर श्रृद्धालुओं के अपने-अपने घरों में ही पूजा-अर्चना किए जाने से प्रखंड क्षेत्र के सभी शिवालयों में वीरानगी छाई रही। गौरतलब हो कि पूर्व के वर्षों में सावन माह के सोमवारी को जलार्पण के लिए मुख्यालय स्थित बाबा पुरंधरनाथ मंदिर सहित अन्य शिवालयों में शिव भक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगीं रहती थी।पूरा दिन मंदिर परिसर में शिवभक्तों का जमावड़ा लगा रहता था। पुरंधरनाथ शिव मंदिर में क्षेत्र के लोगों की काफी गहरी आस्था है। पूर्व के वर्षों में सावन के प्रत्येक सोमवारी को भागलपुर जिला के महादेवपुर घाट से जल भरकर पैदल कांवर यात्रा कर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर शिवलिग पर जलार्पण करते थे। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पर रोक लगा दी गई। इसको लेकर पूरे सावन माह में शिवभक्तों में काफी मायूसी देखी गई। भले ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने बाबा के दरबार तक पहुंचने के लिए श्रृद्धालुओं के पांव रोक दिए हों। लेकिन उसके आस्था, विश्वास, श्रद्धा एवं उमंग में कोई कमी नहीं देखी गई। दर्जनों श्रद्धालुओं ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के मद्देनजर हर तरह के सरकारी निर्देशों का पालन करना जहां बेहद जरूरी है। वहीं हम सबों का कर्तव्य भी बनता है।

chat bot
आपका साथी