रोजी रोटी की तलाश में कोसी से पलायन कर रहे लोग
मधेपुरा कोसी क्षेत्र में रोजगार के लिए पलायन एक बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धत
मधेपुरा : कोसी क्षेत्र में रोजगार के लिए पलायन एक बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धता नहीं रहने से यहां से कामगार श्रमिक काफी तादाद में पंजाब, हरियाणा दिल्ली आदि जगहों रोजगार के लिए जाते हैं। पूरे कोसी क्षेत्र में बड़ा उद्योग नहीं रहने के कारण लोगों को काम की तलाश में बड़े शहर पड़ता है। इस ओर न तो अधिकारी ही ध्यान देते हैं न ही जनप्रतिनिधि। पलायन का सिलसिला सालों भर जारी रहता है। पलायन के कारण गांवों से पुरुषों की संख्या कम हो जाती है। मधेपुरा में भारतीय रेल एवं फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम के संयुक्त साझेदारी में स्थापित विद्युत रेल इंजन कारखाना से भी क्षेत्र में रोजगार के द्वार नहीं खुल सका। इंजन कारखाना के बाद कोसी वासियों को उम्मीद थी कि कोसी क्षेत्र अब औद्योगिकरण की राह चल पड़ेगा। इससे काफी संख्या में यहां रोजगार उपलब्ध होंगे। परंतु ऐसा होता नही दिख रहा है।
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बाढ़ग्रस्त इलाके के लोग नौकरी के लिए जाते हैं बाहर
बाढ़ ग्रस्त इलाके के लोग रोजी-रोटी की तलाश में बाहर जाती हैं। ताकि वहां से कमाई कर कुछ रुपये घर भेजते हैं। इससे परिवार का भरन-पोषण होता है। खासकर आलमनगर, चौसा, फुलौत सहित अन्य जगहों के लोग दिल्ली-पंजाब सहित अन्य शहरों में रहते हैं। वहां उन्हें इतना पैसा नहीं मिलता कि परिवार को साथ रख सके। इस कारण परिवार गांव में ही रहते हैं।
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बाहर नहीं जाएंगे तो खाएंगे क्या
आलमनगर के राजेंद्र कुमार, मोहन महतो, शनिचर कुमार, अरविद कुमार आदि ने बताया कि बाहर रहना उन लोगों की मजबूरी है। गांव में काम नहीं रहने के कारण वे लोग बाहर मजदूरी का काम करते हैं। कुछ पैसा बचाकर घर भेजते हैं। इससे यहां किसी प्रकार गुजारा होता है। जमीन भी नहीं है जो यहां रहकर जीवन चल सके। वे लोग गुजरात में एक कपड़ा मिल में काम करते हैं। इसी प्रकार फुलौत के शंकर कुमार व सुनील कुमार ने बताया कि वे लोग दिल्ली में गार्ड की नौकरी करते हैं। रेलवे कारखाना जब खुला था तो आस जगी थी। लेकिन उन लोगों को नहीं रखा गया। लाचार होकर बाहर रहते हैं।