मखाना खोल रहा किसानों के आर्थिक समृद्धि के द्वार

मधेपुरा। बिहारीगंज में मखाना की खेती किसानों के आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल रहा है। प्रखंड क्षेत्र में किसानों ने मखाना की खेती प्रारंभ की है। पिछले साल काफी कम भूमि पर खेती की थी। फायदा देखकर इस बार 25 एकड़ में खेती की है। किसानों का यह प्रयास सफल रहा तो मखाना की बेहतर पैदावार होगा। क्षेत्र के किसान मखाना की फसल देखकर खुश हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 12:14 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 12:14 AM (IST)
मखाना खोल रहा किसानों के आर्थिक समृद्धि के द्वार
मखाना खोल रहा किसानों के आर्थिक समृद्धि के द्वार

मधेपुरा। बिहारीगंज में मखाना की खेती किसानों के आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल रहा है। प्रखंड क्षेत्र में किसानों ने मखाना की खेती प्रारंभ की है। पिछले साल काफी कम भूमि पर खेती की थी। फायदा देखकर इस बार 25 एकड़ में खेती की है। किसानों का यह प्रयास सफल रहा तो मखाना की बेहतर पैदावार होगा। क्षेत्र के किसान मखाना की फसल देखकर खुश हैं। इसका मुख्य कारण लगातार हो रही बारिश को माना जा रहा है। इस क्षेत्र में पूर्णिया व कटिहार जिले के किसानों ने नीचली सतह की भूमि लीज पर लेकर मखाना की खेती की पहल की है। इसमें अधिकांश किसान खेत में ही मेड़ बनाकर व पानी एकत्र कर मखाना की खेती कर रहे हैं। जबकि इसकी खेती के लिए अत्याधिक पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में खेतों में पानी संग्रहित करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती हैं। वहीं, पानी संग्रहित करने में मेहनत के साथ अत्यधिक खर्च भी उठाना पड़ता है। पानी के अभाव में मखाना की फसल बर्बाद होने की संभावना बनी रहती है। लगातार हो रही बारिश ने किसानों की चिता दूर कर दी है। इस क्षेत्र में पहली बार मखाना की खेती करने वाले किसानों को अच्छी उत्पादन होने की अनुमान है। यही वजह है कि अभी से ही मखाना खेती करने वाले किसान फसल की देखरेख में मुस्तैदी से जुट गए हैं।

मखाना की खेती के प्रति किसानों का बढ़ेगा रुझान

कोसी सहित मधेपुरा जिलें के किसान बदलते परिवेश में भी पारंपरिक खेती पर आत्मनिर्भर बने हुए हैं। इस खेती में किसानों को कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। इसके बाद भी उचित लाभ नहीं मिल पाता है। इधर, कुछ किसान ने मखाना उत्पादन करने की शुरुआत की है। इससे किसानों को प्रतिवर्ष बेहतर मुनाफा होने की उम्मीद लग रही है। यदि किसानों का अनुमान सत्य साबित होता है, तो इससे क्षेत्र के अन्नदाताओं के आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इससे मखाना खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ेगा। आने वाले वक्त में मखाना की खेती का रकवा तेजी से फैलने की संभावना लगाया जा रहा है।

लीज पर खेत लेकर शुरू की मखाना की खेती बिहारीगंज क्षेत्र के लक्ष्मीपुर लालचंद, मधुकरचक, गमैल, बभनगामा, बिहारीगंज, मोहनपुर, रजनी व अन्य स्थलों पर लगभग 25 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती की जा रही है। इसमें अधिकांश किसान निचली भूमि लीज पर लेकर मखाना खेती करने में जुटे हैं। किसान राजकुमार सहनी, नागो ॠषिदेव, शंभू सिंह, शंकर सिंह, शैलेंद्र सिंह, बह्मदेव मंडल, शीबू मंडल, झरीलाल पंडित, कारी स्वर्णकार व अन्य ने बताया कि निचली भूमि में पानी लगने के कारण अन्य फसल नहीं हो पाने की वजह से खेत खाली रह जाती थी। इधर, मखाना की खेती करने के लिए पूर्णिया व कटिहार जिले के किसानों ने 10 से 14 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से लीज पर जमीन लेकर मखाना की खेती शुरू की है। मखाना की खेती करने वाले किसानों का अनुमान है कि प्रति एकड़ 30 से 40 हजार मुनाफा होता है। इसमें सफल होने के बाद इस क्षेत्र में मखाना के अलावा सिघाड़ा व कमल फूल जैसे पौष्टिक महत्व व औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा मिल सकेगा।

कोट मखाना की खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ रहा है। विभागीय स्तर से मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान का प्रावधान है। कई किसान अनुदान की जानकारी हासिल करने ई कृषि भवन आ रहे हैं। विभागीय नियमों की जानकारी दी जा रही है। विभागीय नियमानुसार कागजात प्रक्रिया पूर्ण कर जो किसान आवेदन करेंगे। जांचोपरात उचित आवेदक को मखाना की खेती के लिए अनुदान दिए जाने की अनुशंसा की जाएगी। -उमेश प्रसाद, बीएओ, बिहारीगंज

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