कोरोना संकट के कारण शिक्षण व्यवस्था हुई चौपट

संवाद सूत्र पुरैनी (मधेपुरा) कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा कुप्रभाव शिक्षण व्यवस्था पर पड़ा ह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:30 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 12:30 AM (IST)
कोरोना संकट के कारण शिक्षण व्यवस्था हुई चौपट
कोरोना संकट के कारण शिक्षण व्यवस्था हुई चौपट

संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा) :कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा कुप्रभाव शिक्षण व्यवस्था पर पड़ा है। पिछले एक वर्ष से बाधित शिक्षण कार्य धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा था। आमलोगों सहित अभिभावक खुश थे कि अब बच्चे स्कूल जाकर पठन-पाठन कार्य से जुड़ने लगे हैं, लेकिन यह खुशी अभिभावकों को कुछ दिन ही देखने को मिली। सरकारी विद्यालयों में तो कोरोना काल में बंद पड़े पठन-पाठन के बावजूद राज्य सरकार के निर्देश पर वर्ग एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया, लेकिन निजी विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई। सरकारी निर्देशानुसार निजी विद्यालय खुलने के उपरांत मार्च माह के अंतिम सप्ताह में वार्षिक परीक्षा ली गयी थी। एक अप्रैल को परिणाम आने के पश्चात तीन अप्रैल से विद्यालय खोल दिया गया था। लेकिन तीन अप्रैल की शाम में सरकारी स्तर से चार से 11 अप्रैल तक सरकारी व निजी विद्यालयों एवं कॉलेजों को बंद करने का निर्देश जारी कर दिया गया। इसके बाद स्वत: तमाम सरकारी एवं निजी विद्यालय, कॉलेज तथा कोचिग संस्थान बंद हो गए। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुन:18 अप्रैल एवं उसके बाद आगामी 15 मई तक सरकारी एवं निजी विद्यालयों को बंद करने का निर्देश जारी किया गया है। सरकार के इस निर्देश से एकबार फिर से छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट होने लगा है। अप्रैल माह में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप एवं छात्र-छात्राओं के जान की सुरक्षा के लिहाज से सरकारी सहित निजी विद्यालयों को पूरी तरह बंद कर दिए जाने से पटरी पर आ रही शिक्षण व्यवस्था गति पकड़ने से पूर्व ही एकबार फिर से बेपटरी हो गई। आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं विद्यालय संचालक : बीते एक बर्ष से आर्थिक संकट से जूझ रहे निजी विद्यालय के संचालकों का दूसरे दौर के कोरोना संकट ने तो उसकी कमर ही तोड़ दी है। सरकार के नये निर्देश के बाद विद्यालय संचालकों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न कर दी है। प्रखंड क्षेत्र में निजी विद्यालयों की संख्या डेढ़ दर्जन से अधिक है। इसके संचालकों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है। आखिर विद्यालय बंद रहने की स्थिति में किराए के मकान में संचालित विद्यालयों का किराया सहित बिजली बिल, कर्मी का वेतन सहित अन्य खर्च की भरपाई कहां से होगी। यह सवाल विद्यालय संचालकों को खाए जा रहा है। पिछले एक वर्ष तक स्कूल बंद रहने से आर्थिक संकटों से जूझ रहे संचालकों ने इधर दो महीने से स्कूल खुलने के दौरान थोड़ी राहत की सांस ली थी, लेकिन अब फिर से विद्यालय बंद करने की घोषणा ने संचालकों के समक्ष आर्थिक परेशानी फिर से शुरू कर दी है।

अब 15 मई तक बंद रहेंगे विद्यालय

राज्य सरकार के निर्देश पर सरकारी एवं निजी विद्यालयों को बंद किया गया है। कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर की भयावह स्थिति को देखते हुए को यह कदम उठाया गया है। 04 अप्रैल से विद्यालय बंद करने की अवधि का विस्तार करते हुए अब 15 मई तक कर दिया गया है।

विरेन्द्र कुमार

प्रखंड विकास पदाधिकारी

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