कितने शंकर की मौत के बाद सुधरेगी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था

मधेपुरा। स्वास्थ्य मंत्री के तथाकथित विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज की लापरवाही कितने शंकर की जा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 09:49 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:49 PM (IST)
कितने शंकर की मौत के बाद सुधरेगी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था
कितने शंकर की मौत के बाद सुधरेगी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था

मधेपुरा। स्वास्थ्य मंत्री के तथाकथित विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज की लापरवाही कितने शंकर की जान लेने के बाद सुधरेगी। यहां पांच जिलों के कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज भर्ती होते हैं, लेकिन व्यवस्था काफी दयनीय है। विभाग के एक जिले के सबसे बड़े अधिकारी ने इस पर बड़ा सवाल भी खड़ा किया। अररिया का सिविल सर्जन ने 12 मई को जो आशंका जाहिर की। ठीक वैसा ही हुआ। लगातार हो भी रहा है। स्थानीय लोग आवाज उठा रहे हैं। स्थिति देख परेशान हैं, लेकिन व्यवस्था सुधारने के नाम पर बस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व अधीक्षक का तबादला कर दिया जा रहा है। बीते एक साल में मेडिकल कॉलेज में तीन अधीक्षक व प्राचार्य आ जा चुके हैं, लेकिन व्यवस्था सुधार के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया जा रहा है। बीते वर्ष जब कोरोना की पहली लहर आई थी तो बताया गया की मेडिकल कॉलेज अभी नया ही है, लेकिन उद्घाटन के एक साल बीत जाने के बाद भी व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। लगातार मौत हो रही है। स्वजन रोते रहे चिल्लाते रहे लेकिन मौत को बस एक आंकड़ा है। लापरवाही से हो रही मौत कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज में पांच जिलों के कोरोना के गंभीर रोगियों को यहां भर्ती कराए जाने का निर्देश विभाग द्वारा जारी किया गया है। लेकिन यहां व्यवस्था में व्याप्त खामियों की भेंट भी कई मरीज चढ़ गए। कई मरीजों को भर्ती करने में टालमटोल किया गया। बिना भर्ती किए लौटा दिया गया। जबकि यहां जिलों से रेफर वैसे मरीज ही आते हैं जिनकी हालात गंभीर रहती है और उन्हें इलाज प्रारंभ करने की तत्काल जरूरत होती है। लेकिन भर्ती करने में टालमटोल किया जाता है। अररिया के सिविल सर्जन भी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को लिखे पत्र में यह बात कह चुके हैं।

कोरोना से बिल्कुल मौत को रोका नही जा सकता है। लेकिन लापरवाही से होने वाली मौत को रोका जा सकता है।समय पर इलाज प्रारंभ हो जाने से गंभीर मरीजों की जान बच सकती है। सुपौल के प्रतापगंज प्रखंड के सुरजापुर गांव के युवक शंकर भगत की मौत इसी लापरवाही से हुई। दो से तीन अहम दिन अररिया से मेडिकल कॉलेज के बीच चक्कर लगाते बीत गया। अररिया से रेफर होकर पहले मधेपुरा भेजा गया। लेकिन रात भर एंबुलेंस पर रहने के बावजूद ऑक्सिजनकी कमी बताकर बिना भर्ती किए लौटा दिया गया। दो दिन बाद पुन: अररिया से वापस भेजने पर भर्ती तो लिया गया लेकिन तब तक मरीज की स्थिति बिगड़ चुकी थी। और 17 मई को मरीज की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज में अब तक हुई मौत जिला मृतकों की संख्या मधेपुरा : 53 सहरसा : 14 पूर्णिया : 11 कटिहार : 12 अररिया : 15 सुपौल : 04 भागलपुर : 01 किशनगंज : 02 बेगूसराय : 01

कोट मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों द्वारा पूरी समर्पण के साथ मरीजों की देखभाल की जाती है। लापरवाही जैसी कोई बात नहीं है। अगर ऐसा कोई मामला सामने आएगा तो उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -वैद्यनाथ ठाकुर, अधीक्षक

जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज,मधेपुरा

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