बीएनएमयू में नियुक्त 86 में 44 की सरकार ने की सेवा समाप्त

मधेपुरा। बीएन मंडल विश्वविद्यालय में विगत कई दिनों से वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षण

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:42 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:42 PM (IST)
बीएनएमयू में नियुक्त 86 में 44 की सरकार ने की सेवा समाप्त
बीएनएमयू में नियुक्त 86 में 44 की सरकार ने की सेवा समाप्त

मधेपुरा। बीएन मंडल विश्वविद्यालय में विगत कई दिनों से वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को राज्य सरकार से बड़ा झटका लगा है। पहले तो विवि के प्रतिनिधि मंडल में शामिल कुलसचिव व सीसीडीसी को राज्य सरकार से बिना वेतन के खाली हाथ बैरंग लौटना पड़ा। अब राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय मुख्यालय में बहाल 44 शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्ति पर सशर्त अनुमोदन वापस ले लिया है। सशर्त अनुमोदन की वापसी का आदेश विभाग के उप सचिव अरशद फिरोज के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। कहा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्ति में रोस्टर का पालन नहीं करने और तय शर्तों का उल्लंघन करने की वजह से यह अनुमोदन वापस लिया गया है।

विदित हो कि विश्वविद्यालय के 66 सृजित पदों के विरुद्ध 44 शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति का शिक्षा विभाग से 15 नवंबर 2019 को सशर्त अनुमोदन लिया गया था। बाद में शिक्षा विभाग को शर्तों के उल्लंघन की शिकायत मिली। विभाग ने इसको लेकर जांच कमेटी गठित की और मामले की जांच कराई गई। कमेटी की जांच रिपोर्ट पर विश्वविद्यालय से भी प्रतिवेदन की मांग की गई। कमेटी की जांच रिपोर्ट और विश्वविद्यालय के प्रतिवेदन की गहन समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि निर्गत भर्ती के लिए 100 बिदु के आदर्श रोस्टर का पालन नहीं किया गया है। इसके साथ ही तय शर्तों का उल्लंघन किया गया है। इसी के मद्देनजर 15 नवंबर 2019 को बीएन मंडल विश्वविद्यालय को 44 शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति का सशर्त अनुमोदन वापस ले लिया गया है। इससे पहले विवि प्रशासन ने 66 की जगह 86 कर्मियों की नियुक्ति 17 नवंबर 2017 में की थी। नियुक्ति के मामले में समय समय पर विवि प्रशासन ने सरकार को संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस पर सरकार के उप सचिव ने पत्र के माध्यम से कहा कि राजेश्वर राय बनाम बिहार सरकार व अन्य के मामले में पारित न्यायदेश के आलोक में 68 पदों के विरुद्ध 44 कर्मियों की नियुक्ति की सहमति सशर्त दी जाती है। किसी शर्त का पालन नहीं होने पर वह वैधानिक नहीं माना जाएगा। साथ ही कहा गया कि 86 में 42 कर्मियों की नियुक्ति का वैधानिकता का प्रमाण नहीं है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक ने कहा कि बीएनएमयू में थर्ड ग्रेड व फोर्थ ग्रेफ कर्मियों के साथ पदाधिकारियों के 68 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित की गई तो क्या केवल थर्ड ग्रेड व फोर्थ ग्रेड कर्मियों की नियुक्ति कर दी गई है। शिकायत पर विभाग ने की बड़ी कार्रवाई नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए उच्च शिक्षा विभाग में एक आवेदन दिया कि इनकी विधिवत नियुक्ति नहीं की गई है। राज्य सरकार ने इस आवेदन में उल्लेखित बिदुओ पर संज्ञान लेकर जांच प्रारंभ कर दिया और विवि प्रशासन से विभिन्न बिदुओं पर जबाब मांगा। साथ ही जांच पूरी होने तक सभी शिक्षणेतर कर्मियों के नियमित वेतन भुगतान पर भी रोक लगा दी। इसके बाद मार्च 2020 से अब तक नियमित वेतन के विरूद्ध विवि द्वारा आंतरिक स्रोत से तृतीय वर्गीय कर्मियों को 25 हजार तथा चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को 20 हजार भुगतान कर रही है। जुलाई 2020 में उच्च शिक्षा निदेशक ने बीएनएमयू में 66 सृजित पदों के विरूद्ध किए गए 86 नियुक्ति के मामले की जांच के लिए विवि को पत्र लिखा था। इसमें नियुक्ति की जांच के लिए गठित समिति के प्रतिवेदन के आलोक में सात बिदुओं पर साक्ष्य सहित जानकारी मांगी गई थी। पत्र में सभी चयनित या नियोजित 44 कर्मी नियोजन के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता, बहाली के लिए विवि के द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशानुसार व विभागीय निर्देशानुसार विज्ञापन निकालने व विज्ञापन के आलोक में ही नियुक्ति करने, अभ्यर्थियों को विभागीय निर्देश के आलोक में चयन प्रक्रिया में अधिभार व उम्र सीमा में छूट देने, विज्ञापन के आलोक में प्राप्त सभी आवेदनों पर विश्वविद्यालय द्वारा विचार करने, नियोजन में रोस्टर का पालन किया गया या नहीं आदि की रिपोर्ट मांगी गई थी। इस पत्र के आलोक में विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षा विभाग जबाब भेजा गया था। इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर यह कार्रवाई की गई है।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट को विभाग ने माना आधार बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने मिली शिकायत के आलोक में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक रेखा कुमारी ने पत्र जारी कर कहा है कि दायर परिवाद वाद में अनियमितता के गंभीर आरोप लगाया है। परिवाद वाद के 13 बिदुओं पर जांच की जाएगी। बीएनएमयू में अनियमितताओं की जांच के लिए उच्च शिक्षा विभाग के उपनिदेशक शाश्वतानंद झा और प्रतिनियुक्त पदाधिकारी राजेश कुमार को शामिल किया गया था। उन्होंने 66 की बदले 86 लोगों की नियुक्ति कैसे की गई, इन नियुक्त कर्मियों की सेवा संपुष्टि की प्रक्रिया को कैसे और किस आधार पर आगे बढ़ाई गई इसकी जांच की। इसमें कहा गया कि बगैर राज्य सरकार से इस मद में राशि मिलने के बावजूद किसके आदेश से इन कर्मियों को भुगतान किया जाता रहा। इस संबंध में तत्कालीन कुलपति डॉ. अवध किशोर राय के निर्देश पर छह सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। कमेटी के संयोजक विवि के वित्तीय सलाहकार सुरेश चंद्र दास बनाए गए। साथ ही कमेटी में कुलसचिव डॉ. कपिलदेव प्रसाद, सीसीडीसी, बीएओ डॉ एमएस पाठक के अलावा सामान्य शाखा और विधि शाखा के प्रशाखा पदाधिकारी शामिल थे। वहीं उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार के उपनिदेशक ने विवि के कुलसचिव को पत्र भेज कर कहा है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इसकी विभागीय जांच के लिए जांच कमेटी का गठन किया गया है। साथ ही जांच होने तक कर्मियों के वेतन को स्थगित करने का निर्देश दिया गया है। कोट बीएनएमयू में 86 कर्मचारियों की नियुक्ति न्यायालय के न्यायादेश के आलोक में हुई है। सरकार के में कोई दम नहीं है। अगर इसमें कोई दिक्कत होगी तो न्यायालय में मामले को चुनौती दी जाएगी। डॉ. राजेश्वर राय, अध्यक्ष, बिहार राज्य विवि कर्मचारी महासंघ, बीएनएमयू, मधेपुरा। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने डेढ़ साल पूर्व 44 कर्मियों की नियुक्ति पर सशर्त अनुमोदन वापस ले लिया है। इस संबंध में विभाग से मिले आदेश के आलोक में विवि अग्रतर कार्रवाई करेगी।

डॉ. कपिलदेव प्रसाद, कुलसचिव, बीएनएमयू

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