दिव्यांगों के प्रति समाज बदले अपना नजरिया : डीईओ

संवाद सूत्र मधेपुरा विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर शुक्रवार को स्टेडियम में दिव्यांग बच्चों क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 05:40 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 05:40 PM (IST)
दिव्यांगों के प्रति समाज बदले अपना नजरिया : डीईओ
दिव्यांगों के प्रति समाज बदले अपना नजरिया : डीईओ

संवाद सूत्र, मधेपुरा : विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर शुक्रवार को स्टेडियम में दिव्यांग बच्चों के बीच खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डीईओ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने विकलांगों को दिव्यांग कहने की अपील की थी। इसके पीछे उनका तर्क था कि शरीर के किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर प्रदत्त कुछ खास विशेषताएं होती हैं। विकलांग शब्द उन्हें हतोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर देश के लोगों ने विकलांगों को दिव्यांग तो कहना शुरू कर दिया, लेकिन लोगों का उनके प्रति नजरिया आज भी नहीं बदल पाया है। उन्होंने कहा कि आज भी समाज के लोगों द्वारा दिव्यांगों को दयनीय दृष्टि से ही देखा जाता है। भले ही देश में अनेकों दिव्यांगों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हो, लेकिन लोगों का उनके प्रति वहीं पुराना नजरिया बरकरार है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। आज के समय में भी अधिकतर लोगों को तो इस बात का भी पता नहीं होता है कि हमारे घर के आस-पास कितने दिव्यांग रहते हैं। उन्हें समाज में बराबरी का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। उन्होंने कहा कि यह एक कड़वी सच्चाई है कि भारत में दिव्यांग आज भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर आश्रित हैं।

दिव्यांग को सहानभूति नहीं सहयोग कीजिए सर्वशिक्षा अभियान के डीपीओ रासिद नवाज ने कहा कि दुनिया में आठ प्रतिशत लोग दिव्यांगता का शिकार हैं। दिव्यांगता अभिशाप नहीं है क्योंकि शारीरिक अभावों को यदि प्रेरणा बना लिया जाए तो दिव्यांगता व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती है। यदि सोच सही रखी जाए तो अभाव भी विशेषता बन जाते हैं। दिव्यांगता से ग्रस्त लोगों का मजाक बनाना, उन्हें कमजोर समझना और उनको दूसरों पर आश्रित समझना एक भूल और सामाजिक रूप से एक गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है। जो लोग किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा का शिकार हो जाते हैं अथवा जो जन्म से ही दिव्यांग होते हैं।

खेल विधा में लड़कियों ने दिखाई अपनी प्रतिभा 100 सौ मीटर लड़के के दौर में विभीषण कुमार प्रथम, मु. तबरेज द्वितीय तथा मिथिलेश कुमार तृतीय स्थान पर रहे। 100 मीटर लड़की की दौड़ में नगमा प्रथम, छाया द्वितीय तथा अंशु कुमारी तृतीय स्थान पर रही। माध्यमिक स्तर के 100 मीटर दौर में पप्पू प्रथम, द्वितीय, नीरज तृतीय स्थान पर रहे। वहीं माध्यमिक स्तर के लड़की के दौर में मनीषा भारती प्रथम, चंदा कुमारी द्वितीय व पूनम कुमारी तृतीय स्थान पर रही। लड़कियों के संगीत विधा में वंदना कुमारी प्रथम, पार्वती कुमारी द्वितीय तथा मोमिना खातून की तृतीय स्थान पर रही। संगीत विद्या में मोहित प्रथम, साजन द्वितीय व लव कुमार तृतीय स्थान पर रहे। छात्रा के संगीत विद्या में पूजा प्रथम, इंदु कुमारी द्वितीय व मालती कुमारी तृतीय स्थान पर रही। नींबू दौड़ में मोहम्मद तबरेज प्रथम, अवधेश द्वितीय व अजीत कुमार तृतीय स्थान पर रहे। चित्रकला बालिका के चित्रकला प्रतियोगिता में अर्चना प्रथम, ज्योति द्वितीय तथा चंदा तृतीय स्थान पर रहे। वहीं, बालक के चित्रकला प्रतियोगिता में अवधेश कुमार प्रथम आशीष कुमार तथा मुकेश कुमार तृतीय स्थान पर रहे।

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