संघर्ष व चुनौतियों से निखरकर सविता ने पाई मंजिल

मधेपुरा। संघर्ष व चुनौतियां मानो सविता सिंह के लिए जीवन का हिस्सा रहा। जब तीन साल की थी तो मा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 05:58 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:00 PM (IST)
संघर्ष व चुनौतियों से निखरकर सविता ने पाई मंजिल
संघर्ष व चुनौतियों से निखरकर सविता ने पाई मंजिल

मधेपुरा। संघर्ष व चुनौतियां मानो सविता सिंह के लिए जीवन का हिस्सा रहा। जब तीन साल की थी तो मां चल बसी, लेकिन बड़े भाई व कोसी के चर्चित चिकित्सक त्रिवेणी सिंह का स्नेह व पिता के बताए रास्ते ने हर कठिन चुनौती को सविता से आसानी से पार किया। आज सविता सिंह की संस्कार बड़ी वजह है कि सीमांचल की चर्चित समाजसेवी है। पति किशोर सिंह कामर्स कालेज के प्रोफेसर हैं।

सविता बताती है कि शादी के बाद पति का वेतन इतना ज्यादा नहीं था कि अपने चार बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सके। कभी-कभी तो पति को छह माह तक वेतन नहीं मिलता था। घर की माली स्थिति को देखते हुए संकल्प लिया कि बच्चों के साथ-साथ खुद अच्छी शिक्षा लेंगी। यही कारण है कि शादी के बाद स्नातक किया। उसके बाद हर परिस्थिति में बच्चों को पढ़ाया। कुछ दिन तो ऐसा लगा कि आर्थिक अभाव में शायद ही बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगे, लेकिन कहते हैं न इमानदारी पूर्वक मेहनत हो तो सबकुछ मुमकीन है। आज उसी मेहनत का नतीजा है कि बड़ी बेटी श्वेता दिल्ली में प्रतिष्ठित योग शिक्षिका है। दूसरी बेटी शिवानी कोसी का जाना पहचाना नाम है। पुत्र अंबेश सिंह सफल आटोमोबाइल व्यवसायी हैं। सविता कहती है कि बच्चों को ऊंची शिक्षा सबसे पहले मां-बाप उसके बाद परिवार से मिलती है।

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