बाजार से खाद गायब, भटक रहे किसान
मधेपुरा। बाजार से यूरिया गायब है। ऐसे में धान की खेती कर रहे किसान परेशान हैं। धान की
मधेपुरा। बाजार से यूरिया गायब है। ऐसे में धान की खेती कर रहे किसान परेशान हैं। धान की फसल पीला पड़ने लगी है। इस समय खाद की आवश्यकता है। अगर सही समय पर खाद नहीं मिला तो फसल बर्बाद हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में यूरिया की कमी से किसान परेशान हैं। किसानों को इस वर्ष अच्छी बारिश की वजह से आस जगी थी। उन्हें उम्मीद थी कि धान की फसल अच्छी होगी। मौसम ने भी भरपूर साथ दिया, लेकिन समय पर खाद नहीं मिलने से किसानों की मेहनत पर पूरी तरह पानी फिरता दिख रहा है। प्रखंड क्षेत्र में यूरिया खाद की किल्लत से एक बार फिर किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। अधिकांश किसान अपने खेतों में धान की निकौनी कर चुके हैं। समय से उन्हें खाद नहीं मिलने के कारण धान की उपज प्रभावित होने का चिता सता रहा है। किसान पंकज सिंह, अमित कुमार सिंह, वर्जेश चौधरी, चंदन कुमार चौधरी, मोहन मंडल, चंद्रशेखर ठाकुर, रंधीर से सिंह आदि ने कहा कि लागातर दो सालों से कोरोना महामारी के कारण लाकडाउन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। साथ ही कर्ज लेकर खेती करना पड़ा है। महाजन व साहूकारों का कर्ज अभी तक नहीं उतरा है। इस बार आधा से अधिक खेत में लगे धान की फसल बाढ़ की वजह से बर्बाद हो गया। जो बाढ़ से बच भी गया वह यूरिया के अभाव में बर्बाद हो रहा है। किसानों ने बताया कि जिस तरह मौसम ने साथ दिया तो फसल की उपज अच्छी होती। महाजनों का कर्ज टूटता। लेकिन यूरिया की किल्लत से फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है। इससे किसान मिथिलेश मंडल ने कहा एक तो सरकार ने दिनों दिन बीजो की कीमतों में वृद्धि कर रही है। कीमतों में लगातार वृद्धि होने के बावजूद भी यूरिया की कमी हो रही है। किसानों को धान की उपज प्रभावित होने का चिता सता रहा है। किसानों ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द यूरिया उपलब्ध कराया जाए। खाद बीज दुकानदारों ने बताया कि युरिया का रेक लगभग दस दिन पूर्व नवगछिया स्टेशन पर लगा था। जहां आवश्यकता के हिसाब से यूरिया की आपूर्ति नहीं किया गया। जहां हजार बोरा का डिमांड था वहां एक सौ दो सौ बोरा लेकर ही संतोष करना पड़ा। जो ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन वाली कहावत चरितार्थ करता है। ऐसे में हम लोग क्या करेंगे। किसानों के आक्रोश का शिकार होना पड़ता है।
कोट कई साल के बाद यूरिया की किल्लत से किसानों को एक बार पुन: जूझना पड़ रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सिर्फ आलमनगर प्रखंड क्षेत्र की समस्या नहीं पूरे प्रदेश की है। यूरिया को लेकर किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। -राजेश मिश्रा, आलमनगर पूर्वी
किसान को समय पर खाद मिले इसको लेकर सरकार सजग है। इसके बावजूद भी क्षेत्र में इस तरह की समस्या उत्पन्न हुई है। इससे किसानों के समक्ष परेशानी उत्पन्न हुई है। क्षेत्र के विधायक व सांसद से इस समस्या से निजात दिलाने के लिए संपर्क कर रहे हैं। जल्द ही क्षेत्र में यूरिया उपलब्ध होगा। -चंद्रशेखर चौधरी, पैक्स अध्यक्ष,
आलमनगर दक्षिणी किसान परेशान हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। यूरिया की वजह से धान की फसल बर्बादी के कगार पर है। किसानों को मुआवजा मिलनी चाहिए। बाढ़ के कारण पहले ही काफी फसल बर्बाद हो चुका है। बचा फसल खाद की कमी से बर्बाद हो रहा है।
मोहन झा, आलमनगर किसानों को लगातार दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। एक तो कोरोना की वजह से मक्के का उचित दाम नहीं मिल पाया। धान की फसल को बाढ़ का पानी निकल गया। शेष बचे हुए धान यूरिया की वजह से बर्बाद हो रहा है। किसानों को फसल क्षति का मुआवजा मिले। इसको लेकर जिला के पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों को इस और ध्यान देने की जरूरत है। कुंदन किशोर सिंह, खुरहान पंचायत यूरिया की तलाश में जिले के कई बाजार का खाक छानने के बावजूद भी नहीं मिला। यूरिया किसानों को उपलब्ध नहीं कराया गया तो परेशानी होगी। किसान कहीं के नहीं रहेंगे। उसकी आंख के सामने खेतों में लहरा रही धान की फसले पशु चारा में तब्दील हो जाएगी। -महेश मोहन झा