सामुदायिक किचन से गरीबों की नहीं मिट रही भूख

मधेपुरा। लॉकडाउन के दौरान गरीबों व निराश्रितों को भोजन देने के लिए शुरू किए गए सामुदायिक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 11:22 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 11:22 PM (IST)
सामुदायिक किचन से गरीबों की नहीं मिट रही भूख
सामुदायिक किचन से गरीबों की नहीं मिट रही भूख

मधेपुरा। लॉकडाउन के दौरान गरीबों व निराश्रितों को भोजन देने के लिए शुरू किए गए सामुदायिक किचन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे हैं। जिले में 13 प्रखंड हैं, लेकिन सिर्फ दो जगह जिला मुख्यालय व उदाकिशुनगंज में ही सामुदायिक किचन की शुरूआत की गई है। यहां रोजाना गरीबों को भोजन दिया जा रहा है, लेकिन यहां भी अधिक संख्या में लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं। गुरुवार को मधेपुरा में 90 लोगों को भोजन कराया गया। वहीं, उदाकिशुनगंज में 100 लोगों को भोजन मिला। जबकि अन्य प्रखंडों में सामुदायिक किचन शुरू नहीं होने से गरीब भोजन से वंचित हैं। फिलहाल बचे प्रखंडों में किचन शुरू करने की दिशा में पहल भी नहीं की जा रही है।

मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रभावित गरीब हुए हैं। काम-धंधा बंद होने से रोटी पर आफत आ गई है। कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए सरकार ने जिलाधिकारी को लॉकडाउन की अवधि में सामुदायिक किचन खोलने को कहा है, लेकिन मधेपुरा में अब तक सिर्फ दो ही सामुदायिक किचन शुरू किए गए हैं। ऐसे में गरीब, निराश्रित, निर्धन और नि:शक्त की परेशानी बढ़ गई है। प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा गरीब तबके के लोग उठा रहे हैं।

सदर अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में भी खाना भेजने का निर्देश मधेपुरा स्थित रैन बसेरा में शुरू किए गए सामुदायिक किचन से भोजन का पैकेट बनाकर मेडिकल कॉलेज में मरीज के स्वजनों व सदर अस्पताल में भी भेजने का निर्देश दिया गया है। ताकि लोगों को परेशानी न हो। अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में बाहर के लोग मरीज के साथ आते हैं। उन्हें भोजन में दिक्कत होती है। वहीं, सदर अस्पताल में भी पहुंचे स्वजन को भोजन के लिए दिक्कत न हो। उन्हें भोजन पहुंचने को कहा गया है।

गरीबों का कम नहीं हो रहा दर्द

बिहारीगंज रेलवे स्टेशन किनारे रहने वाले रामकिशन कुमार व संध्या देवी ने बताया कि काम-धंधा बंद होने के कारण भोजन पर आफत है। ऐसे में कभी-कभी तो भूखे सो जाना पड़ता है। बच्चे खाना मांगते हैं तो कलेजा फटता है। सरकार को उनकी चिता नहीं है। लॉकडाउन से कहीं काम भी नहीं मल रहा है कि राशन की व्यवस्था की जाए। वहीं शंकरपुर की नीलम देवी कहती हैं कि प्रखंड स्तर पर भी सामुदायिक किचन चलना चाहिए। हमलोग 20 किलोमीटर दूरी तय कर कैसे जिला मुख्यालय भोजन के लिए जाएंगे।

गरीब न रहे भूखे डीएम को मिली है जिम्मेवारी कोरोना महामारी के दौरान हर दिन मेहनत कर पेट पालने को मजबूर लोगों के हाथ से काम छीन गया है। इन लोगों को लॉकडाउन में भूखे पेट रहने की जरूरत न पड़े, इसके लिए डीएम को सामुदायिक किचन शुरू करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन जिले में सिर्फ खानापूरी कर दो जगहों पर किचन चलाया जा रहा है।

सभी प्रखंडों में खुलता किचन तो गरीबों को मिलता भोजन सभी प्रखंडों में सामुदायिक किचन खुलता तो गरीबों को भोजन मिलता। किचन में दो टाइम का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें दोपहर और रात का भोजन शामिल है। इससे गरीबों को काफी राहत मिलती। लॉकडाउन में कोई भूखा नहीं रहता।

कोट मधेपुरा व उदाकिशुनगंज में सामुदायिक किचन का संचालन किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल सहित अन्य जगहों पर भी पैकेट में भोजन पहुंचाने को कहा गया है। अन्य प्रखंडों में अभी सामुदायिक किचन खोलने का निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। -मनीष कुमार, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, मधेपुरा

chat bot
आपका साथी