पति के साथ छोड़ने पर कठिनाइयों लड़कर आत्मनिर्भर बनी पिचो

मधेपुरा। कुमारखंड के विशनपुर सुंदर पंचायत स्थित पथराहा की पिचो देवी के साथ सबकुछ अच्छा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 12:10 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 12:10 AM (IST)
पति के साथ छोड़ने पर कठिनाइयों लड़कर आत्मनिर्भर बनी पिचो
पति के साथ छोड़ने पर कठिनाइयों लड़कर आत्मनिर्भर बनी पिचो

मधेपुरा। कुमारखंड के विशनपुर सुंदर पंचायत स्थित पथराहा की पिचो देवी के साथ सबकुछ अच्छा चल रहा था। पिचो की शादी 2010 में संजय मुखिया के साथ हुई। शादी से खुश पति-पत्नी का रिश्ता बहुत अच्छा चल रहा था, इसके बाद पिचो ने एक बच्ची को जन्म दी। बच्चे के जन्म के बाद पिचो व उसके पति पर आर्थिक भार बढ़ गया। उसके बाद उसके पति ने फैसला किया कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बाहर जाकर कमाना होगा। लेकिन पति ने कमाने के नाम पर बाहर गया और वहां शादी कर ली। दूसरी शादी करने के बाद पिचो के पति दोबारा उससे से मिलने नहीं आए ना ही कभी पिचो का हाल समाचार जानने की कोशिश की। परिणाम स्वरूप पिचो बिल्कुल अकेली हो गई। अब पिचो का सहारा केवल मां ही रह गई। अब पिचो के लिए इतनी लंबी जिदगी सामने थी जो बोझ-सा महसूस होने लगा। पिचो को अब आगे कुछ समझ नहीं आ रहा था। इस बीच पिचो की मां का भी देहांत हो गया। मां की मौत के बाद पिचों के सामने जीवन पडाड़-सा लगने लगा। अब जीविकोपार्जन योजना एक नई रोशनी के रूप में पिचो के जिदगी में आई। 2019 में पिचो का चयन अत्यंत गरीब दीदी के रूप में आकाश जीविका महिला ग्राम संगठन के अंतर्गत किया गया। पिचो को सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत सूक्ष्म व्यवसाय के रूप में किराना दुकान हेतु 12 हजार 500 रुपया का सामग्री खरीद कर दिया गया। जल्दी ही अपने मेहतन के बल पर पिचो की उस 12 हजार 500 को 25 हजार में बदल दिया। इसी बीच ग्राम संगठन में बचे शेष रुपया का भी खरीदारी कर पिचो को समान दिया गया। अब पिचो के पास 50 हजार के लगभग की संपत्ति है। पिचो बताती है कि अब उसकी मासिक आमदनी करीब 4500 से 5000 के बीच है। पिचो अब अपने व्यापार को और आगे बढ़ाना चाहती है। ताकि अपने बच्चे व खुद को खुशहाल देख सके। पिचो कहती हैक कि मेरा अब एक सपना है कि मेरी बेटी पढ़-लिखकर शिक्षिका बने। वो अब बच्चे की पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

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