शहर के अस्तित्व पर गहराया कटाव का संकट, 50 घरों के विलीन होने का खतरा

मधेपुरा। तीनों ओर से घिरा मधेपुरा शहर में आए दिन नदियां की धार बदल रही है। इससे कटा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 12:14 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 12:14 AM (IST)
शहर के अस्तित्व पर गहराया कटाव का संकट, 50 घरों के विलीन होने का खतरा
शहर के अस्तित्व पर गहराया कटाव का संकट, 50 घरों के विलीन होने का खतरा

मधेपुरा। तीनों ओर से घिरा मधेपुरा शहर में आए दिन नदियां की धार बदल रही है। इससे कटाव जारी है। वर्तमान में जयपालपट्टी व आसपास समेत कई इलाकों में जारी कटाव ने लोगों के घरों तक पहुंचना शुरू कर दिया है। स्थिति यह है कि अगर जल्द ही कटाव को रोका नहीं गया तो तत्काल दो दर्जनों घरों को अपने में समा लेगा। मामले को जान कर भी अनजान बने नगरपरिषद अपना पल्ला झाड़ रहा है। परिषद के अधिकारी बाढ़ नियंत्रण विभाग को पत्र देने की बात कह रहे हैं। नप के अधिकारी का कहना है कि नदी की घारा को मोड़ना व जोड़ना बाढ़ नियंत्रण विभाग का काम है। मालूम हो कि शहर तीन ओर कोसी की उपधारा जैसी नदियों से धिरा है। कोसी अपने स्वभाव के अनुसार हमेशा अपनी धारा बदलती रहती है। यही कारण है कि शहर के ऐसे क्षेत्र में रहने वाले लोगों को हमेशा कटाव का डर बना रहता है। जल्द ही नहीं निकला निराकरण तो लील जाएगी नदियां कटाव की समस्या से वार्ड 1, 2, 9, 4, 5, 6, 14, 22, 23 समेत कई वार्ड है। इन वार्डो में आए दिन कटाव होता रहता है। वार्ड 14 के निवासी सह समाजसेवी सीताराम यादव कहते हैं कि एक ओर नगरपरिषद अगले 20 साल का मास्टर प्लान तैयार कर रही है। जबकि नप से वर्तमान शहर का स्वरूप ही संभल नहीं पा रहा है। वे कहते हैं कि वार्ड 14 में जिस तेजी से कटाव हो रहा है। जो काफी चितनीय है। पिछले साल 50 फीट पूरब नदी अचानक पश्चिम की ओर आ रहा है। निरंतर कटाव जारी रहा तो आने वाला समय में चार दर्जन से अधिक घर इसके आगोश में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि नदी के समीप रहने वाले लोग अपने जमीन व घरों को बचाने के लिए एहतियात के तौर पर बांस का खुट्टा डाल देते हैं। जो स्थायी व टिकाऊ नहीं है। यही स्थिति वार्ड एक का भी है। वार्ड प्रतिनिधि कुलो यादव का कहना है कि हमारे वार्ड में 50 घर इसके निशाने पर है। इसके लिए डिप्टी सीएम, डीएम व ईओ तक को आवेदन दिया है। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसका ठोस निरकारण निकालना होगा।

शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। लेकिन मूलभूत सुविधा की दरकार है। लोगों का कहना है कि कटाव से शहर को बचाने का सबसे बेहतर उपाय है कि तीनों ओर रिग रोड बने। खासकर पूरब व पश्चिम और रिग रोड बने शहर को संभालना मुश्किल है। वहीं शहर के पूरब स्थित गुमटी नदी के किनारे रिग रोड की मांग जोर पकड़ने लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एनएच बन जाने के बाद पूर्वी बाइपास पर वाहनों का आवागमन काफी बढ़ जाएगा। इससे निजात पाने के लिए शहर के पूरब स्थित गुमटी नदी के किनारे रिग रोड बनाना काफी जरूरी हो गया है। जाप नेता देवाशीष पासवान ने कहा कि शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यातायात को सुलभ बनाना प्रशासन व सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि नदी के किनारे रिग रोड अगर गुमटी पुल से मेडिकल तक बनता है तो शहर का विकास तेजी से होगा। वहीं नदी के कटाव से भी 500 परिवारों का घर बच जाएगा।

पूर्व में कुछ दूरी तक बन चुका है रिग बांध 90 के दशक में कटाव को रोकने के लिए तत्कालीन डीएम केपी रमैया ने बस स्टैंड के समीप गुमटी नदी के पश्चिम ओर कुछ दूर तक रिग बांध का निर्माण शुरू करवाया था। लेकिन उसके जाते ही विकास कार्य बंद है। अब ऐसे स्थानों पर लोगों ने अपना आशियाना तक बना लिया है। कोट नदी के कटाव की बड़ी समस्या शहर के लोगों के लिए है। कुछ पार्षदों ने अपने-अपने वार्ड में हो रहे कटाव को लेकर आवेदन भी दिया है। इसे हमलोग बाढ़ नियंत्रण विभाग को भेज रहे हैं। -प्रवीण कुमार, ईओ, मधेपुरा

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