शिक्षा के क्षेत्र में होगी क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत : कुलपति

मधेपुरा। बीएन मंडल विवि परिसर स्थित शिक्षाशास्त्र विभाग में शनिवार को भारतीय शिक्षण मंडल व न

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:12 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 12:12 AM (IST)
शिक्षा के क्षेत्र में होगी क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत : कुलपति
शिक्षा के क्षेत्र में होगी क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत : कुलपति

मधेपुरा। बीएन मंडल विवि परिसर स्थित शिक्षाशास्त्र विभाग में शनिवार को भारतीय शिक्षण मंडल व नीति आयोग के तत्वावधान में नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, चुनौतियां व संभावनाएं विषय पर सेमिनार/ वेबिनार का आयोजन किया गया। मौके पर कुलपति प्रो. (डॉ.) राम किशोर प्रसाद रमण ने कहा कि नई शिक्षा नीति 29 जुलाई को घोषित की गई। इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत होगी। हमें इसके सम्यक् क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर ठोस पहल करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बीच सहयोग एवं समन्वय की जरूरत है। मौजूदा कानूनों में सुधार करने और कई नए कानूनों का निर्माण करना भी आवश्यक है। वित्तीय संसाधनों में वृद्धि व उसका समुचित प्रबंधन करने, पाठ्यक्रमों में बदलाव, नए शिक्षण संस्थानों की स्थापना और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति व उनका समुचित प्रशिक्षण भी जरूरी है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में पीएस कॉलेज की हेमा कुमारी ने मंगलाचरण प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय निरीक्षक कला डॉ. ललन प्रसाद अद्री ने और संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। इस अवसर पर डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. अरूण कुमार, डॉ. राम सिंह यादव, शिक्षण मंडल के विस्तारक आनंद कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार, अमरेश कुमार अमर, सौरभ कुमार चौहान, माधव कुमार, संजीव कुमार, मुकेश कुमार, संतोष कुमार आदि उपस्थित थे। छात्रों को जॉब क्रिएटर बनाएगी नई शिक्षा नीति

कुलपति ने कहा कि शिक्षा ही किसी भी देश व उसके नागरिकों की प्रगति का मुख्य आधार है। इसलिए भारत सरकार ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली में अपेक्षित बदलावों के लिए नई शिक्षा नीति की घोषणा की है। यह विद्यार्थियों को जाब सीकर नहीं, बल्कि जॉब क्रिएटर बनाएगी। मुख्य अतिथि नीलांबर-पीतांबर विवि, डालटनगंज के कुलपति प्रो. (डॉ.) राम लखन सिंह ने कहा कि युगों-युगों से भारत में गुरूकुल शिक्षा पद्धति चल रही थी। हमारी यह प्राचीन शिक्षा पद्धति काफी विकसित थी और हम विश्वगुरू कहलाते थे। 1830 में केवल बिहार एवं बंगाल में एक लाख से अधिक गुरूकुल थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति ने हमारी शिक्षा-पद्धति को हाशिये पर ला खड़ा किया। विशेषकर 1835 में आई मैकाले की शिक्षा नीति ने भारतीय शिक्षा नीति को काफी नुकसान पहुंचाया। अब पुन: भारत एवं भारतीयता को केंद्र में रखकर एक शिक्षा नीति बनाई गई है।

::: शिक्षा नीति में भारतीय दर्शन एवं संस्कृति पर दिया गया है ध्यान:::

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय दर्शन एवं संस्कृति पर काफी ध्यान दिया गया है। यह भारतीय जीवन मूल्यों को केंद्र में रखकर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर काफी ध्यान दिया गया है। विशिष्ट अतिथि बीएनएमयू, मधेपुरा की प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) आभा सिंह ने भारत की मूल विशेषता उसकी आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिकता एवं दर्शन ही रचनात्मकता का आधार है।

मुख्य वक्ता डॉ. सुशील कुमार तिवारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति का मूलमंत्र मानता है। शिक्षा में स्वदेशी भाव का जागरण ही इसका मुख्य उद्देश्य है। यह शिक्षा के क्षेत्र की सभी समस्याओं के सम्यक् समाधान का प्रयास है।सम्मानित वक्ता के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के ओमप्रकाश सिंह, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) उषा सिन्हा, पूर्व डीएसडब्लू प्रो. (डॉ.) नरेन्द्र श्रीवास्तव एवं अकादमिक निदेशक प्रो. (डॉ.) एम. आई. रहमान ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

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