समस्याओं के मकड़जाल में फंसा है उदाकिशुनगंज अनुमंडल, विकास की जरूरत

मधेपुरा। उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र विकास के कई मायनों में अब भी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 06:25 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 06:25 PM (IST)
समस्याओं के मकड़जाल में फंसा है उदाकिशुनगंज अनुमंडल, विकास की जरूरत
समस्याओं के मकड़जाल में फंसा है उदाकिशुनगंज अनुमंडल, विकास की जरूरत

मधेपुरा। उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र विकास के कई मायनों में अब भी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र का समुचित विकास नहीं होने से लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। इस क्षेत्र में आवागमन मुख्य समस्या है। क्षेत्र में रेल यातायात की सुविधा नदारद है। वहीं सड़क यातायात भी पूर्ण विकसित नहीं है। यातायात के अभाव में बाजार को बढ़ावा नहीं मिल रहा है। इस कारण रोजगार के साधन भी नहीं है। करीब 80 किमी के दायरे में फैला मधेपुरा जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लोगों को सो बार सोचना पड़ता है। हालात यह है कि एनएच 106 फुलौत से मधेपुरा तक और एसएच 58 भटगामा चौसा तक की सड़क सही नहीं है। सड़क के कारण इलाके के लोग 20 वर्ष से जिल्लत भरी जिदगी जीने को विवश हैं। क्षेत्र के लोग कहते हैं कि नेता कभी भी जमीनी समस्या की ओर ध्यान नहीं देते हैं। इस क्षेत्र में अपराध भी बड़ा समस्या है। जहां उदाकिशुनगंज अनुमंडल को पुलिस जिला बनाने की चीर लंबित मांगे पूरी नहीं हो पाई। अनुमंडल के फुलौत, सोनामुखी, नयानगर में प्रखंड और मंजौरा और खाड़ा में थाना बनने का प्रस्ताव सरकार के फाइलों में दबकर रह गया। उदाकिशुनगंज में हवाई अड्डा बनने की बात पूरी नहीं हो पाया। अनुमंडल में आलमनगर प्रखंड मुख्यालय को छोड़कर किसी प्रखंड में बस पड़ाव नहीं है। जबकि अनुमंडल में छह प्रखंड है। बस पड़ाव के नहीं होने से सड़कों पर ही वाहन खड़े कर यात्री ढोए जाते हैं। वाहनों के रेलमपेल से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उच्च शिक्षा के नाम पर पूरे अनुमंडल में एक मात्र हरिहर साहा महाविद्यालय है। इससे महज कला विषय की पढ़ाई की व्यवस्था है। वह भी कुछ ही विषयों का। इस क्षेत्र में 90 फीसदी लोग खेती और मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। खेती के सिचाई के लिए साधन नहीं है। नहरों और नलकूपों की स्थिति सही नहीं है। हालांकि राजकीय नलकूपों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत ही कम है। इसमें अधिकांशत: नलकूप खराब पड़े हैं। यहां पर रोजगार के साधन नहीं है। मजदूरी के लिए लोगों को बाहर के प्रदेश जाना पड़ता है। इलाके में जलजमाव के कारण लाखों हेक्टेयर भूमि अनउपजाऊ बना हुआ है। जल निकासी के लिए ड्रानेज विभाग के कार्यालय को यहां से हटाकर कोपरिया भेज दिया गया। प्रखंडों में पीएम आवास में बड़े पैमाने पर धांधली बरती जा रही है। पेंशन योजनाओं का लाभ लोगों को सही तरीके से नहीं मिल रहा है। क्षेत्र के नयानगर के चर्चित भगवती मंदिर, आलमनगर के खुरहान के डाकनी स्थान, चौसा के विशुराउत मंदिर, ग्वालपाड़ा के मझुआ महर्षि दास के जन्मस्थली पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। जबकि इन धर्म स्थलों पर हर रोज हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाजार और गांव की सड़क किनारे कचरों का ढेर जमा रहता है। सफाई की व्यवस्था नहीं है। उदाकिशुनगंज में चीनी मील, फूड पार्क, इंड्रस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर, कलासन में मक्का अधारित उधोग नहीं लग पाया। अनुमंडल अस्पताल नहीं चालू हो पाया। अनुमंडल में आइआइटभ्आ कॉलेज कलासन स्थानांतरित कर दिया गया। जबकि कॉलेज के लिए अनुमंडल मुख्यायलय में पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। नर्स प्रशिक्षण कालेज अधर में लटका हुआ है। समस्या अनेक है।

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