श्वेत क्रांति ने दिखाई समृद्धि की राह

लखीसराय । जिले के अधिकांश किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन पर जोर दे रहे हैं। विगत कुछ वष

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 09:00 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 09:00 PM (IST)
श्वेत क्रांति ने दिखाई समृद्धि की राह
श्वेत क्रांति ने दिखाई समृद्धि की राह

लखीसराय । जिले के अधिकांश किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन पर जोर दे रहे हैं। विगत कुछ वर्षों से अधिकांश पशुपालक अच्छी नस्ल की गाय पालकर दूध का अधिक उत्पादन कर रहे हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है। पशु पालन कर किसान खुशहाल होने लगे हैं। जिले में प्रतिदिन करीब 125 हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। जिसमें से करीब 75 हजार लीटर दूध की खपत डेयरी में होता है। विगत एक वर्ष पूर्व डेयरी द्वारा दूध की कीमत में प्रति लीटर एक रुपये 30 पैसे की वृद्धि की गई। परंतु दुग्ध उत्पादकों के दूध की कीमत नहीं बढ़ाई गई। गव्य विभाग द्वारा किसानों को अच्छी नस्ल की गाय क्रय करने पर अनुदान की राशि उपलब्ध कराकर पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। परंतु पशुओं का इलाज करने में पशुपालन विभाग सक्षम नहीं है। निजी चिकित्सक के सहारे ही पशुओं का इलाज होता है।

जिले में दूध का उत्पादन व खपत

जिले में प्रतिदिन करीब 125 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसमें से सुधा डेयरी में 30 हजार लीटर, आइटीसी डेयरी में 20 हजार लीटर एवं अन्य डेयरी में 25 हजार लीटर दूध दिया जाता है। इसके अलावा करीब पचास हजार लीटर दूध स्थानीय स्तर पर खपत होता है।

डेयरी से निकलता है चार तरह का दूध

डेयरी से चार तरह का दूध निकलता है। इसमें फूल क्रीम मिल्क 50 रुपये लीटर, स्टैंडर मिल्क 44 रुपये लीटर, टांड मिल्क 40 रुपये लीटर एवं डबल टांड मिल्क 35 रुपये किलो बिक्री की जाती है।

उत्पादकों के दूध की कीमत में नहीं हुई वृद्धि, डेयरी ने बढ़ाया दाम

एक वर्ष पूर्व डेयरी द्वारा दूध की कीमत में प्रति लीटर एक रुपये तीस पैसे की वृद्धि की गई। परंतु दुग्ध उत्पादकों के दूध की कीमतें नहीं बढ़ाई गई। दूध में क्रीम की मात्रा के अनुसार किसानों को दूध की कीमत मिलती है। दुग्ध उत्पादकों को क्रीम की मात्रा के अनुसार गाय के दूध का दाम न्यूनतम 26 रुपये से अधिकतम 28 रुपये लीटर एवं भैंस के दूध का दाम न्यूनतम 36 रुपये से अधिकतम 40 रुपये तक भुगतान किया जाता है।

बोले किसान खेती कार्य के साथ-साथ पशुपालन का भी कार्य शुरू किए। शुरुआती दौर में सिर्फ भैंस पालते थे। इसके बाद अच्छी नस्ल की गाय पालने लगे। अच्छी नस्ल की गाय से अधिक दूध मिलने लगी । इसके बाद वे चार और अच्छी नस्ल की गाय खरीदकर पालने लगे। इसके बाद से वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस वर्ष पशु चारा की किल्लत होने से अधिक कीमत पर पशुचारा खरीद रहे हैं। जिससे परेशानी हो रही है। पशु चारा की समस्या उत्पन्न हो गई है।

मोनू झा, पशुपालक

पशुपालन कर वे काफी खुश थे। परंतु इस बार पशुचारा की कीमत आसमान छूने लगी है। ऐसे में दुधारू मवेशी को भरपेट अच्छा चारा नहीं मिल पा रहा है। इस कारण दुधारू मवेशी मवेशी पालने में परेशानी हो रही है।

पंकज सिंह, पशुपालक

कोट

जिले में पशु चिकित्सक का अभाव है। जिले में 15 प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय है। लखीसराय प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में चिकित्सकों का चार पद स्वीकृत है। अन्य सभी प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में एक-एक चिकित्सक का पद स्वीकृत है। प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय लखीसराय एवं खुटहा में एक भी चिकित्सक पदस्थापित नहीं है। प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय पतनेर, रामचंद्रपुर एवं प्रतापपुर के चिकित्सक को प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय लखीसराय में प्रतिनियुक्त कर काम चलाया जा रहा है। खुटहा में भी अन्य अस्पताल के डॉक्टर को भेजा जाता है। चिकित्सक के अभाव के कारण पशुओं का इलाज करने में परेशानी होती है।

डॉ. अजीत कुमार शर्मा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, लखीसराय

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