दिल, दिमाग और जुबान पर रखें संयम तो मुट्ठी में होगा स्वर्ग : प्रभंजनानंद

संवाद सहयोगी लखीसराय श्री रामचरित मानस प्रचार समिति लखीसराय द्वारा शहर के केआरके हाई

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 06:58 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 07:10 PM (IST)
दिल, दिमाग और जुबान पर रखें संयम तो मुट्ठी में होगा स्वर्ग : प्रभंजनानंद
दिल, दिमाग और जुबान पर रखें संयम तो मुट्ठी में होगा स्वर्ग : प्रभंजनानंद

संवाद सहयोगी, लखीसराय : श्री रामचरित मानस प्रचार समिति लखीसराय द्वारा शहर के केआरके हाई स्कूल मैदान में आयोजित संगीतमय रामकथा ने इन दिनों शहर का माहौल बदल दिया है। कथा स्थल पर स्थापित भगवान हनुमान जी की पूजा आराधना और उसके बाद सामूहिक सुंदरकांड और रात में रामदरबार के आयोजन से हर तरह धर्म और अध्यात्म की लहर दौड़ रही है। काफी संख्या में लोग इस कार्यक्रम में शरीक हो रहे हैं। सोमवार को रामकथा के छठे दिन श्री राम जय राम के जयघोष से श्रोताओं से भरा पंडाल प्रभु राम की भक्ति में तल्लीन रहा। कथा सुनने के लिए काफी संख्या में महिलाएं पहुंची थी। कथावाचक अयोध्या से पधारे स्वामी श्री प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने प्रवचन को आगे बढ़ाते हुए भगवान राम और केवट संवाद को काफी मनमोहक ढंग से वर्णन करते हुए श्रोताओं को कथा सुनाया। स्वामी जी ने कहा कि समस्त प्रदूषणों से खतरनाक है विचारों का प्रदूषण। उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति का विचार शुद्ध नहीं है। प्रतिदिन विचारों का पतन होता चला जा रहा है। व्यक्ति सत्कर्म नहीं करता, तत्पश्चात उसके विचार भी शुद्ध नहीं रह गए। विचारों के जीर्णोद्धार की बहुत ही आवश्यकता है। अगर विचारों का जीर्णोद्धार नहीं हुआ तो समाज नरक बनेगा। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति को दिल, दिमाग और जुबान पर संयम रखने की जरूरत है। उन्होंने विस्तार से समझाते हुए कहा कि जीवन को स्वर्ग बनाने का नियम है, दिमाग को रखो ठंडा, आंखों में शर्म, जुबान को नरम और दिल में हो रहम तो स्वर्ग भी मुट्ठी में है। उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्ति के साथ सदैव रहता है। धर्म एक तरह से जीवन बीमा है। जिदगी के साथ भी जिदगी के बाद भी पैसा कमाया हुआ साथ में तो नहीं जाएगा लेकिन सतकर्म किया हुआ इस जिदगी में भी काम आएगा और इस जिदगी के बाद साथ भी जाएगा। आज के समय में व्यक्ति के जीवन से खुशी और चेहरे की हंसी गायब हो गई है। जीवन को तनाव से युक्त कर रखा है। जिससे जीवन नर्क बन रहा है, प्रसन्नता से जिओ समस्याओं का समाधान अपने आप होता चला जाएगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी घबराना नहीं चाहिए। धैर्य रखना चाहिए क्योंकि अनुकूलता और प्रतिकूलता यह दोनों जीवन के दो किनारे हैं। जो जीवन में सदैव लगे रहेंगे। अनुकूलता में प्रभु की कृपा समझें और प्रतिकूलता में हरी की इच्छा समझ कर प्रतिकूलता को भी सहर्ष स्वीकार करें। कथा के प्रसंग में उन्होंने केवट संवाद का बहुत सुंदर और मार्मिक तरीके से वर्णन किया जिसको श्रवण कर समस्त श्रोता भक्ति भाव में गोते लगाते हुए नजर आए। इससे पहले रोज की तरह कथा शुरू होने से पूर्व व्यासपीठ की पूजा और आरती यजमान और आयोजन समिति के पदाधिकारियों द्वारा की गई। मंगलवार को रामकथा का समापन होगा।

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