जिले के अस्पतालों में नहीं हैं विशेषज्ञ चिकित्सक, मरीज होते हैं रेफर
लखीसराय । बिहार सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग ही हकीकत ही काफी ह
लखीसराय । बिहार सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग ही हकीकत ही काफी है। जिले के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अब भी है। इस कारण मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने की बात तो दूर सामान्य स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। जिले में हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, ईएनटी विशेषज्ञ, रेडियोलाजिस्ट एवं चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में गरीब तबके के मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सदर अस्पताल में दो सर्जन पदस्थापित हैं लेकिन उनकी पोस्टिग कागजों पर है। इसमें से एक सर्जन डा. अमरेश कुमार विगत एक वर्ष से ड्यूटी से फरार हैं। दूसरा सर्जन डा. अशोक कुमार सिंह के सहारे जरूरी आपरेशन हो पा रहा है। स्त्री रोग विशेषज्ञ ही किसी तरह बंध्याकरण करते हैं। सूर्यगढ़ा सीएचसी एवं रामगढ़ चौक पीएचसी में बंध्याकरण कराने के लिए अन्य अस्पताल से चिकित्सक बुलाना पड़ता है। जिले में आए दिन सड़क दुर्घटना अथवा अन्य घटनाओं में लोग जख्मी होते रहते हैं। लोगों की हड्डियां टूटती है। ऐसी स्थिति में जिले के सरकारी अस्पतालों मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। निजी क्लीनिक में हड्डी का इलाज कराना पड़ता है। इससे गरीब तबके के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ----
जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति
मूर्च्छक के स्वीकृत पद - 09
कार्यरत - 02
--- स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत पद - 09
कार्यरत - 02
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सर्जन के स्वीकृत पद - 09
कार्यरत - 02
--- शिशु रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत पद - 10
कार्यरत - 02
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दंत रोग विशेषज्ञ के स्वीकृत पद - 08
कार्यरत - 03
--- फिजीशियन के स्वीकृत पद - 02
कार्यरत - 01
--- रेडियोलाजिस्ट के स्वीकृत पद - 02
कार्यरत - 00 ---- कोट
जिले में हड्डी रोग, नेत्र रोग एवं ईएनटी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। इस कारण काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है। संबंधित बीमारी का इलाज नहीं हो पाता है। जिले में सर्जन का भी अभाव है। इस कारण साधारण आपरेशन करने में भी परेशानी होती है। विशेषज्ञ चिकित्सक के नहीं रहने को लेकर विभाग को सूचना दी जा चुकी है।
डा. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय।