कोरोना काल में गर्भवती माताएं विशेष सावधानी बरतें : डॉ. रूपा
कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव उन लोगों में अधिक होता है जिनकी इम्युनिटी कम होती है।
लखीसराय। कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव उन लोगों में अधिक होता है जिनकी इम्युनिटी कम होती है। खासकर गर्भावस्था में महिलाओं की इम्युनिटी थोड़ी कम हो जाती है। ऐसे में गर्भवती को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत रहती है। कुछ सावधानियां बरतकर इससे बचाव भी किया जा सकता है। सदर अस्पताल लखीसराय में पदस्थापित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपा ने कोरोना संक्रमण के दौरान महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है। ---
बार-बार अस्पताल जाने से करें परहेज
कोरोना काल में गर्भवती को नियमित जांच के लिए अस्पताल जाने से बचना चाहिए। फोन पर अपने डाक्टर्स से संपर्क कर जानकारी कर लें। प्रेग्नेंसी के 12वें और 19वें सप्ताह में रक्त की जांच और स्कैन के लिए डॉक्टर से जांच जरूरी है। इसके बाद 32वें सप्ताह में ही जाएं। अस्पताल जाते समय भी पूरी तरह से कोरोना से सुरक्षा का ध्यान रखें। मास्क पहनें। कोशिश करें कि एक ही सहयोगी साथ में जाएं। ---
सर्दी-खांसी को हल्के में न लें
गर्भवती में सर्दी, जुकाम, बुखार या सांस लेने में तकलीफ की शिकायत को हल्के में न लें। अगर कोरोना वायरस या इससे संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने का संदेह हो तो तत्काल पास के सरकारी अस्पताल में जाकर जांच कराएं। अपने मन से कोई भी दवा न लें। पहला गर्भावस्था होने पर गोदभराई आदि करने की परंपरा होती है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में ऐसे कार्यक्रम करने से बचें अथवा भीड़ बिल्कुल न हो यह ध्यान रखें। ----
आशंका होने पर इनकी होती है जांच
डॉ. रूपा ने बताया कि गर्भवती में कोरोना की आशंका होने पर इसकी जांच की जाती है और इलाज भी होता है। जांच के लिए स्वाब लेकर आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। इस समय अधिक गर्भवतियों को सामान्य प्रसव के लिए प्रयास किया जा रहा है। कुछ ही गर्भवती हैं, जिनको कोई परेशानी पहले से है उनको ही सिजेरियन डिलीवरी के लिए कहा जाता है। 34 सप्ताह से कम की प्रेग्नेंसी है या हल्की परेशानी जैसे उल्टी और जी घबरा रहा है, इसके लिए अस्पताल न जाएं। फोन पर ही अपने चिकित्सक से सलाह लें। अगर तेज दर्द हो रहा है, खून या पानी आ रहा है या फिर पैरों में ज्यादा सूजन हो रहा है तो ही सावधानी से अस्पताल जाएं और इलाज कराएं।