पुलिस दबिश या फिरौती की चर्चाओं के बीच चौकरा में जली दीपक की रोशनी

संसू. पीरी बाजार (लखीसराय) पुलिस दबिश या फिर फिरौती। यह एक सवाल है जो हर किसी की

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:27 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:27 PM (IST)
पुलिस दबिश या फिरौती की चर्चाओं के बीच चौकरा में जली दीपक की रोशनी
पुलिस दबिश या फिरौती की चर्चाओं के बीच चौकरा में जली दीपक की रोशनी

संसू., पीरी बाजार (लखीसराय) : पुलिस दबिश या फिर फिरौती। यह एक सवाल है जो हर किसी की जुबान पर है। दीपक कुमार सोमवार की रात अपने घर चौकरा आ गया। नक्सलियों ने उसे अपने कब्जे से मुक्त कर दिया। आखिर शनिवार की रात नक्सलियों ने उसे क्यों अगवा क्या। उसे अपने साथी की कुर्बानी भी देनी पड़ी। इसका जवाब ने तो दीपक दे रहे और न उसके पिता। पुलिस भी इस सवाल को टाल जाती है। खैर, भागवत प्रसाद का इकलौता चिराग सकुशल नक्सली कब्जे से मुक्त होकर घर आ गया इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है। चौकरा गांव में जहां भय, सन्नाटा और सबके चेहरे पर उदासी थी वहीं दीपक के आ जाने के बाद मंगलवार को पूरा गांव रोशन था। दीपक 48 घंटे के बाद सोमवार की रात नक्सलियों की चंगुल से मुक्त हो गया। अपहृत युवक के सकुशल लौटने से स्वजनों में खुशी है। अपहृत के पिता भागवत प्रसाद ने बताया कि मेरे बेटे को कजरा के जंगलों में मुक्त किया गया। वहां से वह किसी तरह कजरा स्टेशन तक पैदल चलकर पहुंचा। तब उसने किसी के माध्यम से घर पर सूचना दी। तब उसे वहां से लाया जा सका। खाली पैर चलने की वजह से उसके पैर में फफोले हो गए हैं। शनिवार की रात भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के हथियारबंद दस्ते ने उसे उसके घर से अगवा कर लिया था। इस दौरान पुलिस एवं नक्सली संगठन के बीच मुठभेड़ हो गया था जिसमें एक हार्डकोर नक्सली प्रमोद कोड़ा मारा गया था। पीरी बाजार थानाध्यक्ष प्रजेश कुमार दूबे ने बताया कि पुलिस द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई एवं संभावित ठिकानों पर की जा रही छापामारी का नतीजा है कि मजबूर होकर नक्सलियों ने दीपक को रिहा कर दिया। थानाध्यक्ष के अनुसार दीपक की तलाश में पुलिस एवं एसटीएफ की टीम लगातार अभियान चला रही थी। ऐसे में अपहृत को छिपाकर रखना उनके लिए मुश्किल हो गया था। उन्होंने दावा किया कि पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण नक्सलियों ने दीपक को मुक्त कर दिया। अपने सहयोगी के मारे जाने से नक्सली बैकफुट पर है। उसके हौसले पस्त हैं। ----

फिरौती देने के बाद दीपक को मुक्त किए जाने की चर्चा

दीपक की रिहाई को भले ही पुलिस अपनी सफलता व कार्रवाई का नतीजा मान रही हो लेकिन ग्रामीणों में चर्चा है कि दीपक की वापसी फिरौती देकर हुई है। परिवार के सदस्य इस मामले में कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं। उनके अनुसार पुलिस के दबिश में दीपक को मुक्त किया है। सूत्र बताते हैं कि अपहरण की घटना को नक्सलियों ने रुपये के लिए अंजाम दिया था। हालांकि उसका एक साथी पुलिस की गोली से मारा भी गया। इससे उसके हौसले भी पस्त हुए। ---

पुलिस के वेश में आए थे नक्सली

दीपक कुमार ने बताया कि नक्सली पुलिस के वेश में आए थे। वह टायलेट के लिए घर से बाहर गया था। नक्सली गतिविधि का एहसास होने पर वह घर के अंदर आ गया। नक्सली उसके पीछे ही आ धमाका। उसने बताया कि वे लोग मेरे पापा को खोज रहे थे। मैंने पापा को बुलाने के लिए पांच मिनट का समय मांगा। वो लोग उसके विरुद्ध थाने में एफआइआर दर्ज होने की बात कर अपने साथ चलने को कहा। लेकिन, उसे उसके नक्सली होने का अहसास हो गया था। इसलिए उसके साथ जाने से इंकार किया तो वो लोग मुंह को कपड़े से ढक कर हाथ, पैर, कमर व गले में रस्सी बांध कर दौड़ाते ले गए। उनके साथ मारपीट भी की जा रही थी। गोलियों की आवाज उनके कानों तक आ रही थी। ----

दीपक के घर वालों ने पुलिस के कार्य को सराहा

दीपक के अगवा किए जाने की सूचना पर पुलिस की त्वरित कार्रवाई एवं अपहृत के सकुशल रिहाई के लिए ग्रामीण एवं उनके स्वजनों ने पुलिस के कार्य की सराहना की है। दीपक की सकुशल रिहाई से जहां गांव में खुशी की लहर है। वहीं पीरी बाजार थानाध्यक्ष द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई एवं सकुशल रिहाई की तारीफ चारों ओर हो रही है।

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