सदर अस्पताल में इलाज कराने आई महिला सहित दो मरीजों की मौत
लखीसराय। कोरोना संक्रमण के बीच सरकारी अस्पतालों में आपका समुचित इलाज होगा या नहीं आपकी
लखीसराय। कोरोना संक्रमण के बीच सरकारी अस्पतालों में आपका समुचित इलाज होगा या नहीं, आपकी जान बचेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। जिला मुख्यालय स्थित 100 शय्या वाले सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों का इलाज भगवान भरोसे है। अस्पताल के आलीशान भवन में बेहतर इलाज के लिए ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सहित अन्य सुविधा उपलब्ध रहने का दावा भले ही किया जाता है। मगर सदर अस्पताल का पूरा सिस्टम संक्रमण के वायरस से खुद बीमार है।
मरीजों की सेवा में लगे स्वास्थ्य कर्मी को भी कोरोना का डर सता रहा है। रविवार को सदर अस्पताल में एक महिला सहित दो मरीजों की मौत, शव से लिपटकर स्वजनों की चीत्कार, अस्पताल के पोटिको में एक एंबुलेंस पर इलाज के तड़पता संक्रमित मरीज और कोरोना जांच के लिए चार घंटे परेशान लोगों का दर्द अस्पताल की बदहाल और बदइंतजामी की पोल खोल रही थी। अस्पताल में मात्र मैनेजर नंदकिशोर भारती मौजूद थे। वो भी मरीजों की नाराजगी और गुस्से को देख अस्पताल से गायब हो गए। बाकी पूरा विभाग रविवार को सरकारी छुट्टी पर आराम कर रहा था। कजरा क्षेत्र के मसुदन गांव से रूपेश कुमार अपने कोरोना संक्रमति भाई को इलाज के लिए एंबुलेंस से लेकर आया। काफी देर तक सदर अस्पताल में किसी ने उस संक्रमित मरीज की सुध नहीं ली। मरीज का ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे जा रहा था। बाद में रूपेश ने सिविल सर्जन को फोन करके इलाज नहीं होने की शिकायत की। इसके बाद मरीज को भर्ती किया गया। ---
इलाज के लिए आइ महिला ने अस्पताल में दम तोड़ा
बड़हिया निवासी मनोज पोद्दार अपनी पत्नी संगीता देवी को इलाज के लिए सदर अस्पताल लखीसराय लेकर आया। संगीता काफी गंभीर रूप से बीमार थी। स्वजनों ने संगीता को जैसे ही वाहन से उतारकर अस्पताल के गेट के पास रखा। मिनटों में संगीता की मौत हो गई। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉ. विनय कुमार ने बताया कि महिला को किडनी से संबंधित बीमारी थी। अस्पताल पहुंचते ही उसने दम तोड़ दी। ---
शहर के मिर्च व्यवसायी की भी हुई मौत
रविवार की दोपहर शहर के नया बाजार बड़ी दुर्गा स्थान के नजदीक मिर्च के एक बड़े व्यवसायी को उसके घर वाले एक ई-रिक्शा से अस्पताल ले गए। उक्त व्यवसायी की स्थिति काफी नाजुक बनी हुई थी। अस्पताल में ई-रिक्शा लगने के बाद अस्पताल के कर्मी कोरोना मरीज समझकर आगे नहीं बढ़े। अंत में ई-रिक्शा चालक और उसके घरवाले खुद स्ट्रेचर लाकर मरीज को लेकर इमरजेंसी वार्ड ले गए। वहां डॉ. विनय कुमार ने उसे मृत घोषित कर दिया।