महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, अधिकार अब भी नहीं मिले

लखीसराय । कोई भी चुनाव में किसी भी प्रत्याशी की जीत एवं हार में आधी आबादी यानी महिलाओं के

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:56 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 08:56 PM (IST)
महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, अधिकार अब भी नहीं मिले
महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, अधिकार अब भी नहीं मिले

लखीसराय । कोई भी चुनाव में किसी भी प्रत्याशी की जीत एवं हार में आधी आबादी यानी महिलाओं के मतदान को अब काफी अहम माना जाता है। महिलाओं के लिए पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की गई है। सही मायने में महिलाओं की भागीदारी तो बढ़ी लेकिन अधिकार अब भी नहीं मिले हैं। 50 फीसद आरक्षण के बाद भी पुरुषों के हाथों में ही उनकी सत्ता की चाबी होती है। आधी आबादी अब अपने अधिकार को लेकर समय-समय पर मांग उठाते रहती हैं। लोक सभा से लेकर पंचायत चुनाव में वो पुरुषों से सीधा टक्कर ले रही हैं। अब महिलाएं घर के काम काज से बाहर निकल कर पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर सभी काम कर रही हैं। यही वजह है कि पंचायत चुनाव में इस बार बड़हिया प्रखंड में जिला परिषद से लेकर मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य एवं पंच के लिए आरक्षण के तहत भाग्य आजमाने के साथ ही अधिकार की बात कर रही है। आधी आबादी की मतदाताओं ने जागरण से बातचीत करने के दौरान खुलकर अपने मन की बातें कही है। ----

फोटो : 26 एलएचके 1 बिहार सरकार ने राज्य में आधी आबादी को अधिकार तो दे दी है। उसका लाभ लेकर पंचायत से सैकड़ों महिलाएं मुखिया, सरपंच, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य आदि निर्वाचित होकर प्रमाण पत्र प्राप्त कर रही हैं लेकिन आम जनता के बीच उनकी कोई पहचान नहीं बन पाई। चुनाव के बाद उनके पति खुद को प्रतिनिधि होने का दावा कर सभी कार्य वे करते हैं। इसमें बदलाव होनी चाहिए। शबनम कुमारी, गंगासराय

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फोटो : 26 एलएचके 2 हम लोग को छोटे से छोटे काम के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। वहां कोई काम आसानी से नहीं हो पाता है। पंचायत मुख्यालय में सब तरह की व्यवस्था होने की बात बहुत दिनों से सुनते रही हूं। पंचायत मुख्यालय में ही सभी तरह की व्यवस्था हो जाए तो हम लोगों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इसकी व्यवस्था जल्द से जल्द होनी चाहिए साथ ही महिलाओं को अपना अधिकार भी हासिल करना चाहिए। नेहा कुमारी, प्रतापपुर

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फोटो : 26 एलएचके 3 आधी आबादी के प्रतिनिधि को उनके स्वजन स्टांप की तरह प्रयोग करते हैं। महिला प्रतिनिधि को पांच वर्ष तक जनता का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें अपने अधिकार की कोई जानकारी नहीं हो पाती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि आधी आबादी को अधिकार देने के साथ साथ उसे मार्गदर्शक की भूमिका में आगे लाएं। आरक्षण के बाद भी महिलाएं पुरुष की कठपुतली बनी रहती है। यह हास्यास्पद स्थिति है। प्रियंका कुमारी, रामपुर डुमरा

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फोटो : 26 एलएचके 4 अधिकार महिला को मिला तो उसे ही अपने कर्तव्यों निभाना चाहिए। जब आधी आबादी को पंचायत की जनता वोट देकर मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य एवं पंच सदस्य चुनकर जीत दिलाती है तो आधी आबादी को ही उसे जनता का कार्य करने देना चाहिए। उनके पति या अन्य स्वजनों को बीच में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। महिलाओं को भी अपने अधिकार को समझना चाहिए। उनको अपने अधिकार का प्रयोग करने एवं जनता के दुख दर्द को समझने के लिए घर से बाहर निकलना होगा। चमचम कुमारी, गंगासराय

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फोटो : 26 एलएचके 5

पंचायती राज व्यवस्था में आधी आबादी को राज्य सरकार ने भले ही 50 प्रतिशत का अधिकार दिया है लेकिन महिलाएं इस बात से संतुष्ट नहीं है। महिलाओं को आज भी उस लायक उनके स्वजन नहीं समझते हैं। महिला के अधिकार में खुद दखल देकर उनके अधिकार का हनन कर रहे हैं। महिला प्रतिनिधि के बदले उनके स्वजन ही उनका सारा कार्य करते हैं। यह महिलाओं के अधिकार का हनन है।

रिकी देवी, वीरुपुर

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