अशोकधाम में भोलेनाथ को साक्षी मान भक्तों ने मुख्य द्वार पर ही चढ़ाया बेलपत्र व गंगाजल

लखीसराय । लगातार दूसरी साल कोरोना काल में सावन महीना शुरू हुआ है। सावन की पहली सोमवारी

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:12 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:12 PM (IST)
अशोकधाम में भोलेनाथ को साक्षी मान भक्तों ने मुख्य द्वार पर ही चढ़ाया बेलपत्र व गंगाजल
अशोकधाम में भोलेनाथ को साक्षी मान भक्तों ने मुख्य द्वार पर ही चढ़ाया बेलपत्र व गंगाजल

लखीसराय । लगातार दूसरी साल कोरोना काल में सावन महीना शुरू हुआ है। सावन की पहली सोमवारी पर शहर से लेकर गांव तक आस्था भारी नजर आई। जिला प्रशासनकी पाबंदी और धारा 144 भी आस्था के सामने ध्वस्त नजर आई। जिले का प्रसिद्ध और बिहार का बाबा धाम श्री इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम जिला प्रशासन के आदेशानुसार बंद है। बावजूद पहली सोमवारी के अवसर पर अल सुबह से ही शिवभक्तों की भीड़ अशोकधाम मंदिर पहुंची। मंदिर के मुख्य द्वार और दक्षिण दिशा के प्रवेश द्वार पर ताला बंद रहने और पुलिस की कड़ी सख्ती के कारण श्रद्धालुओं को पूजा करने मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया गया। अंत में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ भगवान शंकर को साक्षी मानकर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर ही बेलपत्र, फूल, प्रसाद, गंगाजल और दूध डालकर माथा टेका और भोलेनाथ से आशीर्वाद लिया। एक शिवभक्त ने मंदिर बंद रहने के कारण गेट पर ही 30 से 40 लीटर दूध अर्पित कर दिया। मुख्य द्वार पर पूजा-पाठ और जलार्पण होने के कारण गंगाजल और दूध की धार सड़कों पर बहने लगी। दिन के 12 बजे तक श्रद्धालुओं की भीड़ मुख्य द्वार पर लगी रही। मंदिर के पुजारियों को भी मुख्य गेट के पास से पुलिस कर्मियों ने हटा दिया। मंदिर परिसर में तैनात पुलिस कर्मी मुख्य द्वार में ताला बंद कर चाबी अपने पास रखकर आराम फरमाते रहे। बाहर की व्यवस्था से पुलिस कर्मी और प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी को कोई मतलब नहीं था। पुलिस की सख्ती से मंदिर के पुजारियों में भी नाराजगी देखी गई। इससे पहले सुबह में सरकारी पूजा के बाद पुलिसकर्मी के नहीं रहने के कारण सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर शिवलिग पर जलार्पण करने लगे। बाद में लखीसराय थाना अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने मंदिर पहुंचकर श्रद्धालुओं को गर्भगृह से बाहर कर मुख्य द्वार और दक्षिण द्वार में ताला लगवाया। उसके बाद पुलिस की सख्ती बढ़ा दी गई। मंदिर के अंदर सन्नाटा पसरा रहा।

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