11 साल बाद भी नहीं चालू हो सकी सौर ऊर्जा वाली शुद्ध पेयजल योजना

जल ही जीवन है लेकिन यह शुद्ध हो तभी मनुष्य स्वस्थ रह सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 07:38 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 07:38 PM (IST)
11 साल बाद भी नहीं चालू हो सकी सौर ऊर्जा वाली शुद्ध पेयजल योजना
11 साल बाद भी नहीं चालू हो सकी सौर ऊर्जा वाली शुद्ध पेयजल योजना

विजय गुप्ता, गलगलिया (किशनगंज): जल ही जीवन है लेकिन यह शुद्ध हो तभी मनुष्य स्वस्थ रह सकता है। हर छोटे-बड़े सरकारी कार्यक्रमों में सरकार के नुमाइंदे, लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की लंबी चौड़ी बातें कहकर उनकी क्षणिक प्यास तो बुझा देते हैं पर समाधान की दिशा में कभी कोई ठोस पहल नहीं करते। गलगलिया सीमावासियों आज की तारीख में कुछ ऐसा ही कहते सुने जा रहे हैं।

बात ठाकुरगंज प्रखंड के सीमावर्ती पंचायत भातगांव की है। जहां दो अलग-अलग जगहों पर सीमा क्षेत्र विकास योजना के तहत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 62 लाख की राशि से निर्मित सौर ऊर्जा से संचालित शुद्ध पेयजल योजना सीमावासियों के लिए बेकार साबित हो गई। लोगों का कहना है कि सरकार ने लाखों रुपये हमारे लिए पानी की तरह बहाकर यह योजना खड़ी कर दी मगर आज वर्षों से शुद्ध पानी से हमें वंचित रखा गया है। इस कारण यहां के लोग पेट संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं। वित्तीय वर्ष 2012-13 में पंचायत के निंबूगुड़ी पासवान टोला में 37 लाख की राशि से सोलर लाइट से संचालित शुद्ध पेयजल योजना का कार्य कराया गया था और छह माह में कार्य पूर्ण कर कुल 22 वाटर स्टैंड लगाए गए। वहीं, निर्माणकर्ता एजेंसी को पांच साल तक मैंटिनेंस की जिम्मेवारी भी सौंपी गई थी, लेकिन प्लांट बनने के बाद सिर्फ एक-दो माह ही कुछ जगहों पर पानी निकल पाया और उसके बाद पानी निकलना बंद हो गया। जिसके कारण लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना पर ग्रहण लग गया। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि जगह-जगह पानी के लिए बने नल स्टैंड भी टूट कर अपनी पहचान मिटा चुका है और सीमावासियों को शुद्ध पेयजल पीने का सपना साकार नहीं हो रहा है। विभागीय उदासीनता के कारण गलगलिया सीमावासी यहां के जल में प्रचुर मात्रा में आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइल, नाइट्रेट एवं फास्फोरस जैसे नुकसानदायक तत्व मानक से अधिक पीने को विवश हैं, जो मौत का कारण बनते जा रहा है। यही हाल है वार्ड नं छह का जहां वित्तीय वर्ष 2009-10 में गलगलिया उपस्वास्थ्य केंद्र के परिसर में सौर ऊर्जा से संचालित पेयजल पंप निर्माण कार्य संवेदक कृष्ण कुमार दुबे द्वारा कराया गया था। 25 लाख की राशि से किए गए इस कार्य में निर्माण स्थल से घोषपाड़ा होता हुआ गलगलिया बाजार, पुराना बस स्टैंड एवं सहनी टोला शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना स्थापित हेतु पाइप बिछाते हुए कई जगह वाटर स्टैंड भी लगाए गए। मगर 11 वर्ष बीतने के बाद आज तक यहां के बाशिंदों को एक बूंद शुद्ध पानी नसीब नहीं हुआ।

----------------------- डीएम के फटकार के बाद छह वर्षों में भी समाधान नहीं:: 21 जनवरी 2015 को ग्रामीणों की शिकायत पर किशनगंज के तत्कालीन जिला पदाधिकारी अनिमेष कुमार पराशर ने निंबूगुड़ी प्लांट का औचक निरीक्षण किया था और इस दौरान मौके पर ही उपविकास आयुक्त संजय कुमार को निर्देश देते हुए कहा था कि एक सप्ताह के भीतर सारे त्रुटियों को दूर कर ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराई जाय। डीएम ने निरीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता शिवबिहारी कुमार एवं सहायक अभियंता नबी हुसैन को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश दिया था कि सारी खामी को एक सप्ताह में संवेदक के माध्यम से दूर होनी चाहिए और सात दिन बाद फिर निरीक्षण कराया जाएगा। कमी पाई गई तो विभागीय कार्रवाई होगी। मगर छह साल बाद स्थिति आज भी वही है।

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कोट के लिए:- पंचायत में लाखों की लागत से आयरन मुक्त पानी पहुंचाने के लिए सौर ऊर्जा प्लांट लगाया गया था। लेकिन विभागीय उदसीनता तथा लापरवाही के कारण दोनों प्लांट कोमोबेश अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहे हैं। मुन्नी देवी (पूर्व सरपंच, भातगांव)

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सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम के तहत हर घर नल शुद्ध जल पहुंचाने की बात हो रही है लेकिन उन्हें आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। आयरन युक्त पानी पीने से बडे़ और छोटे बच्चे पेट के रोग से पीड़ित हो रहे हैं।

बुधन पासवान (पूर्व मुखिया,भातगांव)------------

कोट के लिए:-

बीएडीपी योजना द्वारा निर्मित उक्त पेयजल योजना को क्रियान्वयन के लिए संवेदकों से 05 वर्षों का एकरारनामा किया गया था जिसका समयावधि पूर्ण हो गया है। नए सिरे से पेयजल सुविधा को चालू कराने के लिए विभाग से प्राप्त निर्देश के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।

प्रतीक कुमार, सहायक अभियंता पीएचईडी

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