बरसात में सड़क कट जाने से आवागमन में हो रही परेशानी

किशनगंज। कहते हैं सुगम यातायात विकास की अहम कड़ी होती है। सुगम यातायात के बिना किसी क्ष

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 05:07 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 06:51 PM (IST)
बरसात में सड़क कट जाने से आवागमन में हो रही परेशानी
बरसात में सड़क कट जाने से आवागमन में हो रही परेशानी

किशनगंज। कहते हैं सुगम यातायात विकास की अहम कड़ी होती है। सुगम यातायात के बिना किसी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। केंद्र व बिहार सरकार भले ही सभी गांव को पक्की सड़क से जोड़ने की बात कह रहे हों। लेकिन प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों कच्ची सड़कें आज भी पक्कीकरण से वंचित है। वहीं पोठिया प्रखंड क्षेत्र के अन्तर्गत शीतलपुर के ग्रामीणों को आजादी के सात दशक बाद भी एक अदद पक्की सड़क नसीब नहीं हो सकी है। शीतलपूर से पश्चिम बंगाल की सीमा को जोड़ने वाली लगभग तीन किमी लंबी कच्ची सड़क पर कालाकचु गांव के निकट बाढ़ के चपेट में आकर कट जाने से राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वर्ष 2016 को बाढ़ त्रासदी के दौरान बाढ़ के चपेट में आने से सड़क कट गई थी । कालाकचु गांव के समीप सड़क के बीच तीन मीटर गड्ढा हो जाने से उक्त सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित है। जिससे कई गांवों के किसानों को व्यापारियों को अपने खेती से उपज फसलों को क्षेत्र के सबसे बड़ी मंडी कहे जाने वाले बंगाल के इस्लामपूर ले जाने में परेशानी हो रही है। नतीजतन किसानों को अपने फसलों को औने-पौने मूल्य में बेंचना मजबूरी बन गई है। यही नहीं सड़क कटने से गांव के छात्र- छात्राओं को भी उत्क्रमित मध्य विद्यालय कालाकच्चू आने-जाने में हर दिन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। जबकि यह सड़क शीतलपुर तथा उदगारा पांचायत के दर्जनों गांवों के किसानों व्यापारियों तथा विद्यालय जाने वाले छात्र छात्राओं के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

ग्रामीणों का कहना है कि सुखाड़ में तो हमलोग किसी तरह डायवर्सन बना कर सड़क से आवागमन कर लेते है,परन्तू बरसात में डायवर्सन पर पानी जमा होने से संपर्क इस्लामपूर सहित अन्य गांव से भंग हो जाता है। हालांकि सड़क पक्कीकरण के लिए स्थानीय विधायक व सांसद से कई दफा गुहार लगाई गई है लेकिन आजतक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल करते नहीं देखा जा रहा है। वहीं बाढ़ त्रासदी के लगभग तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त सड़क का मरम्मता कार्य नहीं कराए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।

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