सिदूर होली खेल महिलाओं ने माता से मांगी सुहाग की सलामती का आर्शीवाद

किशनगंज। शहर की फिजाओं में बंग संस्कृति के पुरी तरह से घुले मिले होने के कारण शुक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 07:25 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 07:25 PM (IST)
सिदूर होली खेल महिलाओं ने माता से मांगी सुहाग की सलामती का आर्शीवाद
सिदूर होली खेल महिलाओं ने माता से मांगी सुहाग की सलामती का आर्शीवाद

किशनगंज। शहर की फिजाओं में बंग संस्कृति के पुरी तरह से घुले मिले होने के कारण शुक्रवार को शहर के विभिन्न पूजा पंडालों व दुर्गा मंदिरों में अद्भुत नजारा देखने को मिला। लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के बाद दशमी के दिन शहर के पूजा पंडालों में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने जमकर सिदूर की होली खेली। इस दौरान शादीशुदा महिलाओं ने एक दूसरे की मांग में सिदूर लगाकर उनके सुहाग की सलामती की दुआ मांगी। साथ ही युवतियों के गालों में सिदूर लगाकर उन्हें आशिर्वाद भी दिया। क्या है मान्यत:: बंगाली समुदाय के लोगों का ऐसा मानना है कि मां दुर्गा साल में पांच दिनों के लिए अपने मायके आती हैं। मां के आगमन की खुशी में बंगाली समुदाय के द्वारा दुर्गा पूजा मनाया जाता है। अपने पांच दिनों के प्रवास के बाद दुर्गा कैलाश पर्वत चली जाती हैं। बंगाली समुदाय में मां दुर्गा को बेटी की मान्यता दी गई है। बेटी को सुहागन विदा करने के करने के उद्येश्य से महिलाओं द्वारा पहले उनका मुंह मीठा कराया जाता है। फिर पान के पत्तों से उन्हें चूमाया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है। फिर मीठा पान खिलाकर व मांग भरकर उन्हें नम आंखों से विदा किया जाता है। चूंकि सिदूर को हिन्दू धर्म में सुहाग की निशानी माना जाता है इसलिए ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं मां दुर्गा को सिदूर लगाती हैं उनका सुहाग सलामत रहता है। इसलिए महिलाएं इस मौके पर एक दूसरे की मांग में सिदूर भरकर तथा सिदूर की होली खेलकर एक दूसरे के सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं।

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