सवा सौ साल पूर्व से होती है मां दुर्गा की पूजा अर्चना

किशनगंज। प्रखंड के रहमानगंज स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा मंदिर क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। मां द

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 11:22 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 12:52 AM (IST)
सवा सौ साल पूर्व से होती है मां दुर्गा की पूजा अर्चना
सवा सौ साल पूर्व से होती है मां दुर्गा की पूजा अर्चना

किशनगंज। प्रखंड के रहमानगंज स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा मंदिर क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। मां दुर्गा की असीम शक्ति के कारण यहां कोई भी कार्यक्रम का शुभारंभ मां के दरबार में पहुंच कर उनकी पूजा अर्चना करने के उपरांत ही शुरू किया जाता है। पूजा की हिन्दू समाज के लोग मिलजुल कर करते हैं। वहीं दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य में लगने वाली मेला की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय मुस्लिम समाज के लोग उठाते हैं। यहां गंगा जमुनी तहजीब का बेमिसाल नजारा देखा जा सकता है। मंदिर का इतिहास करीब सवा सौ साल पहले स्व. साधु राम विश्वास द्वारा स्थापित यह मंदिर पहले जहां व्यक्तिगत तौर पर पूजा पाठ किया जाता था। उनके वंशज स्व. विशेश्वर प्रसाद सिंह के जिम्मे पूजा की जिम्मेदारी थी तो स्व. केशव लाल गणेश मेला का दायित्व संभालते आए। परंतु करीब एक दशक पहले सामाजिक बैठक के उपरांत मंदिर को सार्वजनिक घोषित करते हुए सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के जिम्मे सौंप दिया गया है। मंदिर की विशेषताएं -अष्टमी पूजन पर विशेष रूप से मां की होती है पूजा-अर्चना।

-सुबह और शाम आरती की होती है विशेष व्यवस्था।

- सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर मां सबकी मनोकामना पूर्ण करती है।

-नवमी पूजा के रात्रि भंडारा की व्यवस्था

-दुर्गा विसर्जन के सप्ताह दिन बाद विशेष भजन कीर्तन का आयोजन कोट

सार्वजनिक दुर्गा पूजा व मेला के मद्देनजर समिति की ओर से अष्टमी पूजा से विशेष व्यवस्था की जाती है। पूर्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम होता आया है। कोरोना काल से कार्यक्रम का आयोजन बंद है।

शशि भूषण सिंह, सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष

इस मंदिर में वर्षो से पूजा कर रहे पुजारी का कहना है कि उन्हें मां की पूजा अर्चना करने में विशेष आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। मां की कृपा भक्तजनों पर हमेशा बनी रहती है। इसलिए लोग यहां आते हैं।

गोविन्द लाल सिंह, पुजारी

chat bot
आपका साथी