महासमर : कांटे की टक्कर में फंसी कोचाधामन सीट

- मतदाताओं के मौन से उलझ चुका है समीकरण - जदयू का लगेगा हैट्रिक या फिर राजद करेगी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 12:45 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 12:45 AM (IST)
महासमर : कांटे की टक्कर में फंसी कोचाधामन सीट
महासमर : कांटे की टक्कर में फंसी कोचाधामन सीट

- मतदाताओं के मौन से उलझ चुका है समीकरण

- जदयू का लगेगा हैट्रिक या फिर राजद करेगी वापसी

जागरण संवाददाता, किशनगंज : कोचाधामन विधानसभा सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय हो चुकी है। हैट्रिक लगाने को मैदान में डटे जदयू प्रत्याशी मुजाहिद आलम को कांटे की टक्कर मिल रही है। गत लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में मिले वोट को आधार बना कर महागठबंधन के प्रत्याशी उत्साह से लवरेज हैं तो ओवैसी की सभा के बाद से एआइएमआइम के प्रत्याशी की मजबूत दखल ने दंगल को रोचक बना दिया है। वहीं 2014 में उपचुनाव के बाद 2015 में दोबारा जीत दर्ज कर जदयू विधायक विकास के नाम पर मतदाताओं के बीच पैठ बनाने में जुटे हैं। दूसरी तरफ तीनों प्रत्याशियों को भीतरघात का डर भी सता रहा है। क्षेत्र में जनता का नब्ज टटोलना प्रत्याशी के लिए काफी मुश्किल भरा है। यहां वोटर अंतिम क्षण में निर्णय लेते हैं।

दरअसल अल्पसंख्यक बहुल कोचाधामन 2010 से पहले किशनगंज विधानसभा का हिस्सा था। परिसीमन में 2010 में कोचाधामन विधानसभा अस्तित्व में आया। कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में किशनगंज प्रखंड के छह पंचायत और कोचाधामन प्रखंड के 24 पंचायत शामिल है। मतदाताओं की चुप्पी से समीकरण पूरी तरह उलझा हुआ दिख रहा है। तीनों प्रमुख प्रत्याशियों के खेमे में हलचल बढती जा रही है। लिहाजा त्रिकोणात्मक बन चुकी लड़ाई में जदयू की हैट्रिक लगेगी या फिर राजद वापसी करेगी या एआइएमआइएम का पताका लहराएगा, यह कह पाना मुश्किल हो रहा है। मुजाहिद आलम लगातार चौथी बार मैदान में हैं। पहली बार यानी 2010 में इन्हें राजद प्रत्याशी अख्तरूल ईमान से शिकस्त मिली थी। उस वक्त मुजाहिद आलम एनडीए के प्रत्याशी थे। जबकि 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सादिक समदानी को शिकस्त देकर उन्होंने जीत हासिल की। तब जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं था। वहीं 2015 में एआइएमआइएम के टिकट में मैदान में उतरे अख्तरूल ईमान को पटखनी देकर दोबार विधायक चुने गए। 2015 में जदयू महागठबंधन का हिस्सा था और भाजपा प्रत्याशी आबेदुर रहमान लगभग 35 हजार वोट लाने में सफल रहे थे। 2015 की तरह इस बार फिर से लड़ाई त्रिकोणीय है। लेकिन इस बार महागठबंधन से शाहिद आलम और एआइएमाआइएम से हाजी इजहार अशफी मैदान में हैं।

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