सिघीमारी पंचायत के अधिकांश गांव विकास से काफी दूर

किशनगंज। दिघलबैंक प्रखंड मुख्यालय से पश्चिमी उत्तरी क्षेत्र में बसे सिघीमारी पंचायत के कई गां

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 09:10 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 09:10 PM (IST)
सिघीमारी पंचायत के अधिकांश गांव विकास से काफी दूर
सिघीमारी पंचायत के अधिकांश गांव विकास से काफी दूर

किशनगंज। दिघलबैंक प्रखंड मुख्यालय से पश्चिमी उत्तरी क्षेत्र में बसे सिघीमारी पंचायत के कई गांव आज भी विकास की किरण से कोसों दूर है। उत्तरी क्षेत्र कनकई नदी से घिरा हुआ पंचायत सिघीमारी पंचायत अपनी बर्बादी की आंसू बहा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यह पंचायत हमेशा बाढ़ की मार से अपने आप में तबाह हो रही है। हमेशा कनकई नदियों का बाढ़ इस पंचायत की घनी आबादी को नष्ट कर देती है और सरकार द्वारा बनाए गए सड़क पुल पुलिया इस नदी के आगोश में समा जाती है। जिसके कारण यहां विकास की गंगा तो बहती है। परंतु विकास की गंगा नदी की चपेट में आने से विनाश की रूप में तब्दील हो जाती है।

पंचायत निवासी वृद्ध मुंशी हांसदा, ध्रुव लाल, धेना बास्की ने बताया कि सिघीमारी पंचायत का नाम सिघीमारी इसलिए पड़ा कि पहले यहां पर सिकंदरा बूढ़ी कनकई नदी निकलती थी। उस नदी में आदिवासी समुदाय के लोग मछली मारने के लिए जाते थे। उस नदी से क्विटल के क्विटल सिघी मछली वहां से मार कर लाते थे। सिघी मछली अधिक पाए जाने के कारण वहां के बुजुर्गों ने वहां का नाम सिघीमारी के नाम से प्रचलित कर दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि सिघीमारी पंचायत बनने से पहले यह पंचायत लक्ष्मीपुर पंचायत के अंदर आता था। लगभग 1970 साल में यह पंचायत लक्ष्मीपुर से कटकर सिघीमारी पंचायत के रूप में तब्दील हुआ। गांव डाकूपारा, पलसा, चट्टानटोला आदिवासी टोला इन सभी गांव में आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। हालांकि सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं कुछ ही दिनों में बरसात के झोली में समा जाती है। फिर ग्रामीणों को फिर चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात, वाली कहानियां यहां साबित हो जाती है। इसका कोई हल आज तक नहीं हो पाया है। कारण जब तक कनकई नदी में पुल का निर्माण नहीं होगा तब तक लोगों को गुमनामी की जिदगी जीना मजबूरी बनी हुई है।

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