रेल लाइन किनारे एक करोड़ की मिट्टी डालने का दावा, रेलवे को पता ही नहीं

किशनगंज। पोठिया प्रखंड में मनरेगा का हाल बड़ा निराला है। महज कुछ माह में मनरेगा से एक

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 09:15 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 09:15 PM (IST)
रेल लाइन किनारे एक करोड़ की मिट्टी डालने का दावा, रेलवे को पता ही नहीं
रेल लाइन किनारे एक करोड़ की मिट्टी डालने का दावा, रेलवे को पता ही नहीं

किशनगंज। पोठिया प्रखंड में मनरेगा का हाल बड़ा निराला है। महज कुछ माह में मनरेगा से एक करोड़ की मिट्टी रेल लाइन किनारे डालने के नाम पर पैसे उठा लिए गए। लेकिन जिस रेलवे की जमीन पर यह कार्य का दावा किया गया है उस रेलवे को पता तक नहीं चल पाया। मनरेगा कार्यालय ने न रेलवे से कोई परमिशन लिया और न ही एनओसी तक लेना मुनासिब समझा। मनरेगा के इस कार्यशैली से रेलवे विभाग के अधिकारी भी असहज हैं।

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इतनी बड़ी राशि के खर्च का औचित्य पर सवाल

पोठिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत दो अलग-अलग रेल मार्ग गुजरती है। इसमें पहला यानी मुख्य रेलखंड आलुआबाड़ी-एनजीपी रेलखंड है तो दूसरा आलुआबाड़ी-सिलीगुड़ी रेलखंड, जो पोठिया-ठाकुरगंज होकर गुजरती है। दोनों रेल मार्ग पर कन्वर्जन (दो विभाग के बीच का मामला) के तहत मनरेगा सेस के अधीन मिट्टी भराई का यह कार्य करने का दावा किया गया। इसमें आलुआबाड़ी-पोठिया-ठाकुरगंज रेलखंड पर लगभग 10 लाख का मिट्टी तथा आलुआबाड़ी- मांगुरजान-एनजेपी मुख्य रेलखंड पर 90 लाख का मिट्टी भराई का काम दर्शाया गया है। यह सभी कार्य वित्तीय वर्ष 2020-21 तथा 2021- 22 का हाल के कुछ महीनों में किया गया बताया गया है।

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रेलवे के पुराने पत्र को आधार बनाकर फर्जीवाड़ा

2018 में रेलवे का एक पत्र जिला स्तर पर मनरेगा कार्यालय को मिला। इसमें दोनों विभाग की सहमति से छह प्रकार के कार्यों को स्वीकृति दी गई। जिसमें रेलवे क्रॉसिग के पास एप्रोच पथ, पानी की निकासी, रेलवे स्टेशन के पास विकास के कार्य, हरियाली सहित रेलवे तटबंध पर सुरक्षा कार्य शामिल था। जरूरत के हिसाब से पहले कार्यों की सूची रेलवे सीनियर डीईएन के स्तर से जिला पदाधिकारी अथवा मनरेगा जिला स्तरीय पदाधिकारी को दी जानी थी। इसका देखरेख रेलवे विभाग के एसएसई जेई व‌र्क्स को करना था। इसी क्रम में कई स्तर पर बैठक के बाद किशनगंज एसएसई व‌र्क्स ने रेलवे पटरी किनारे मिट्टी डालने को लेकर पोठिया मनरेगा कार्यालय को पत्र लिखा। इस पत्र में रेलवे की ओर से किस पिलर संख्या से किस पिलर संख्या में मिट्टी की जरूरत है, इसका अवलोकन कर जानकारी दी गई। इसके बाद स्थानीय मनरेगा विभाग की ओर से इस पर काम कराया गया और नियमानुसार रेलवे विभाग के कर्मी अथवा अधिकारियों के देखरेख में कार्य संपन्न हुआ। यह मामला वित्तीय वर्ष 2018- 19 का है। बाद में इस कार्य को लेकर कुछ संशोधन किए गए। रेलवे के इसी पत्र को पोठिया मनरेगा विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020 - 21 तथा 2021 - 22 में अपने तरीके से आधार बनाकर मनमर्जी से मिट्टी भराई के नाम पर पैसे उठा लिया। रेलवे ने इस वित्तीय वर्ष में न तो अपनी ओर से कोई पत्राचार किया न ही रेलवे को किस पिलर से किस पिलर के बीच मिट्टी की जरूरत है इसकी कोई आवश्यकता ही जताई। यही नहीं एक साधारण नियम को भी स्थानीय मनरेगा अधिकारी ने ताक पर रख दिया की जब एक विभाग, दूसरे विभाग के क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई काम करता है तो एनओसी जरुर लेता है। लेकिन पोठिया मनरेगा पीओ के कार्यप्रणाली का बानगी देखिए कि सब अपनी मर्जी से कागज पर कर दिया। मामले पर पोठिया मनरेगा पीओ ऋषि प्रकाश ने इसपर कुछ भी कहने से असमर्थता जताई है।

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रेलवे के अधिकारियों ने जताई हैरानी

रेलवे एसएसई व‌र्क्स किशनगंज राजेश रंजन का कहना है कि पूर्व में वित्तीय वर्ष 2018- 19 में कराए गए कार्य के लिए रेलवे से पत्राचार किया गया था। वित्तीय वर्ष 2020- 21 और 2021-22 के तहत हाल के महीनों में जो कार्य कराए जाने की बात सामने आ रही है। इसे लेकर रेलवे द्वारा पोठिया मनरेगा कार्यालय को न तो कोई पत्राचार किया गया और न ही मनरेगा कार्यालय ने इस बाबत रेलवे विभाग को कोई सूचना ही दी है। मनरेगा ने पोठिया रेलवे लाइन अथवा परिसर क्षेत्र में कैसे काम किया और कब काम किया इसकी कोई भी जानकारी और साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध नहीं है।

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