वाहन को एंबुलेंस का रूप देकर की जा रही शराब तस्करी

किशनगंज। बहादुरगंज थाना पुलिस ने जिस एंबुलेंस को 270 लीटर शराब तस्करी के दौरान जब्त किया

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:29 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:29 PM (IST)
वाहन को एंबुलेंस का रूप देकर की जा रही शराब तस्करी
वाहन को एंबुलेंस का रूप देकर की जा रही शराब तस्करी

किशनगंज। बहादुरगंज थाना पुलिस ने जिस एंबुलेंस को 270 लीटर शराब तस्करी के दौरान जब्त किया एंबुलेंस सिर्फ दिखावे के लिए एंबुलेंस है। इसका उपयोग शराब तस्करी के लिए ही किया जा रहा है। एंबुलेंस का रूप देकर तस्करी के लिए उपयोग में लाए जा रहे इस वाहन पर फर्जी हास्पीटल का स्टीकर लगा है।

पुलिस की पड़ताल में किशनगंज के रास्ते बंगाल से सुपौल के बीच वर्षों से चल रहे तस्करी का खुलासा परत दर परत हो रहा है। एंबुलेंस में सिर्फ बाहर से हास्पीटल का स्टीकर चिपकाया हुआ है अंदर में मरीज को लेटने सहित इलाज का कोई उपकरण तक नहीं था। पूर्ण रूप से एंबुलेंस का इस्तेमाल शराब तस्करी में ही किया जा रहा था। तस्करी के दौरान एंबुलेंस से गिरफ्तार दो तस्कर रवि प्रकाश एवं सोनू कुमार से पूछताछ के बाद पुलिस दोनों पर उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है। पुलिस अब वर्षों से संचालित शराब तस्करी के खेल में शामिल मास्टरमाइंड की तलाश में जुट गई है।

पूछताछ में गिरफ्तार तस्करों ने खुलासा किया कि सुपौल जिला के पिपरा थाना क्षेत्र निवासी राकेश चौधरी और रंजन चौधरी शराब तस्करी का मुख्य सरगना है। उसी के कहने और एंबुलेंस गाड़ी उपलब्ध कराने पर वे लोग शराब तस्करी का काम कर रहा था। इसके एवज में उसे मोटी रकम दी जाती थी। एंबुलेंस से प्रत्येक सप्ताह शराब की खेप तस्करी की जा रही थी। मामले में पुलिस एंबुलेंस से शराब के साथ गिरफ्तार दो तस्कर और गाड़ी मालिक राजेश कुमार पर मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है। बहादुरगंज थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि जल्द ही जांच कर तस्करी से जुड़े मास्टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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रजिस्ट्रेशन नंबर और चेचिस नंबर में भी है अंतर

जब्त एंबुलेंस की पुलिस ने जब जांच पड़ताल शुरू की तो रजिस्ट्रेशन नंबर और चेचिस नंबर और इंजन नंबर तक में समानता नहीं है। इससे यह अंदेशा जताया जा रहा है कि गाड़ी को कबाड़ी में तैयार कर इसे एंबुलेंस का रूप देकर शराब तस्करी में इस्तेमाल किया जा रहा था। जब्त एंबुलेंस पर बीआर 01पीजी 2099 नंबर दर्ज है लेकिन इस रजिस्ट्रेशन नंबर के जांच में जो चेचिस नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर निकला वह गाड़ी में अंकित नंबर से बिल्कुल भिन्न है। तस्कर अक्सर इस तरह फर्जी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं ताकि अगर गाड़ी में मौजूद लोग पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाए तो पुलिस को गाड़ी स्वामी के बारे में कुछ पता नहीं चल सके। लेकिन यहां पुलिस एंबुलेंस से गिरफ्तार दोनों तस्कर से पूछताछ कर अब गाड़ी मालिक और उसके द्वारा बताए गए सरगना पर शिकंजा कसने की तैयारी में जुट गई है जो शराब तस्करी के खेल का मास्टरमाइंड है।

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