कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को अर्पित किया श्रद्धा सुमन

किशनगंज। देश के आन-बान और शान के लिए देश के जाबांज सैनिकों ने कारिगल युद्ध में दुश्मनों क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 08:36 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 08:36 PM (IST)
कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को अर्पित किया श्रद्धा सुमन
कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को अर्पित किया श्रद्धा सुमन

किशनगंज। देश के आन-बान और शान के लिए देश के जाबांज सैनिकों ने कारिगल युद्ध में दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने आपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सफल रहे थे। यह बातें सोमवार को पूर्व सैनिक संघ के जिलाध्यक्ष सूबेदार मेजर मदन कुमार सिंहा ने रेडक्रास स्थित सैनिक संघ कार्यालय परिसर में शहीद सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध को कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है। भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 के मई महीना में कश्मीर के कारगिल क्षेत्र से युद्ध शुरु हुए थे। दो महीने से ज्यादा समय तक चले इस युद्ध में 527 से अधिक सैनिक शहीद और तेरह सौ से ज्यादा घायल हुए थे। कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों ने हंसते-हंसते अपना जीवन देश के नाम कर दिया। जब कभी भी देश के ऊपर युद्ध की बात मंडराएंगे सेवा निवृत सैनिक पुन: देश की रक्षा के लिए रणभूमि में उतरने से पीछे नही हटेंगे। सेवा निवृत सैनिकों का शेष बचा जीवन भी देश के नाम है। इस दौरान मुख्य रूप से सेवा निवृत सैनिक अताउर रहमान, चितरंजन शर्मा, प्रमोद सिंह, संजीव सिंह, गुफरान आलम, कुमार बलबीर, जबीर आलम, अफरोज दाना, सुकुमार राय, हारुण रशीद, धनेश्वर साहा, हबीबुर रहमान और विश्वजीत सहित कई अन्य सैनिक मौजूद रहे।

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याद किए गए कारगिल विजय के शहीद जवान

संवाद सहयोगी, किशनगंज : कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार को प्राचार्य सतीश पाठक ने मोतीहारा तालुका स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में दी प्रज्वलित कर किया। जिसमें शहीद जवानों को कुर्बानी को याद किए। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस में शहीद हुए सैनिकों के योगदान को इतिहास हमेशा याद रखेगा। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल युद्ध लड़ा गया। देश के सेना ने लगातार 60 दिनों तक युद्ध करते हुए दुश्मन देश के तीन हजार सैनिकों को मार गिराया। इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए। अंतत: भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम के बदौलत युद्ध जीत लिया। इस दौरान मुख्य रूप से अजीत कुमार, जीके विजय, सरिता कुमारी, विजय राय, बीके चौरसिया, मु. मुश्ताक, विनोद कुमार, प्रदीप कुमार चौधरी, सविता सिंह, एसएन झा, स्कंद चौबे, सुजीत कुमार और खुर्शीद हुसैन सहित कई शिक्षक मौजूद रहे।

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