सावन की पहली सोमवारी को श्रद्धालुओं ने किया पूजा-अर्चना

किशनगंज। सावन की पहली सोमवारी पर कलापहाड़ शिवालय पहुंचे श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। सोम

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:40 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:40 PM (IST)
सावन की पहली सोमवारी को श्रद्धालुओं ने किया पूजा-अर्चना
सावन की पहली सोमवारी को श्रद्धालुओं ने किया पूजा-अर्चना

किशनगंज। सावन की पहली सोमवारी पर कलापहाड़ शिवालय पहुंचे श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। सोमवारी के शुभ अवसर पर जल, फूल, दूध, शहद, बेलपत्र आदि से महादेव का जलाभिषेक किया गया। मंदिर के पुजारी ने भक्तों को भीड़ लगाने से रोका और बारी-बारी से नियमानुसार पूजा अर्चना करने की भक्तों को सलाह दी। वहीं अधिकतर श्रद्धालु घर पर ही भगवान शिव की पूजा अराधना किए। टेढ़ागाछ प्रखंड के कलापहाड़ गांव का यह शिवालय का इतिहास काफी पुराना है और लोगों में काफी श्रद्धा है।

जिला मुख्यालय किशनगंज से उत्तर लगभग पचास किलोमीटर दूर व टेढ़ागाछ प्रखंड मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर कलापहाड़ का यह शिवालय सदियों से चर्चा के केंद्र में है। गांव के बुद्धिजीवी नारायण दास बताते हैं कि लगभग तीन सौ वर्ष यह पुराना मंदिर है। यह एक आपरूपी शिवलिग है। समाजसेवी श्रीकांत कल्याणी बताते हैं कि लगभग पचास किलोमीटर के आसपास कहीं कोई शिवालय दूर-दूर तक नहीं था। सभी लोग यहां पैदल व बैलगाड़ी से शिव जी के दर्शन करने आते थे। बड़ी मात्रा में यहां लोग मुंडन संस्कार कराने पहुंचते हैं। कलापहाड़ बाबा सभी भक्तों की मुराद पूरी करते हैं। कोरोना के कारण भक्त मंदिरों में दो वर्ष से कम आ रहे हैं, नहीं तो यहां खूब भीड़ होती थी। यहां की सबसे खास बात है कि इस मंदिर में जो शिवलिग विराजमान हैं। वह देवघर स्थित बाबा बैधनाथ धाम के शिवलिग के तरह मिलता जुलता है। यही कारण है कि भक्त दूर-दूर से बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने यहां आते हैं और जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हैं। बाबा सभी भक्तों के झोली में जरूर कुछ न कुछ अच्छा फल अवश्य देते हैं।

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