मंदिरों में की गई मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना

किशनगंज। चैती नवरात्रि के चौथे दिन शुक्रवार को मंदिर और घरों में भक्तों ने देवी दुर्गा के

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:38 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:38 PM (IST)
मंदिरों में की गई मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना
मंदिरों में की गई मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना

किशनगंज। चैती नवरात्रि के चौथे दिन शुक्रवार को मंदिर और घरों में भक्तों ने देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना विधि-विधान पूर्वक की गई। मन को अनहत चक्र में स्थापित करने के लिए मां का आर्शीवाद बहुत जरूरी है। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को सूर्य जैसे तेज की प्राप्ति होती है। कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। आठ भुजा होने के कारण मां को अष्ट भुजाओं वाली माता भी कहा जाता है। मंदिरों में कोरोना गाइडलाइन के तहत पूजा-अर्चना किए जा रहे हैं।

उत्तरपाली दुर्गा मंदिर के पंडित जगन्नाथ झा ने पूजा अर्चना के क्रम में फूल, अक्षत सहित अन्य सामग्री माता के चरणों में अर्पित किए। मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल अधिक पसंद हैं। इसलिए भक्तों ने माता को लाल रंग के फूल अर्पित किए। पूजा के क्रम में प्रसाद के रूप में मालपुआ चढ़ाया गया। मालपुआ चढ़ाने से भक्तों को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। कन्याओं के रंग बिरंगे रिबन और वस्त्र भेट किए गए। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अधिक प्रिय है। इसलिए देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप का नाम कुष्मांडा पड़ा। इनकी आठ भुजाएं होती है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा होते हैं। जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। इनका वाहन सिंह और निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। माता की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों ने अपने हाथों में फूल लेकर सुरासंपूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्त पदमाभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे मंत्र का जाप 21 बार किए। इस मंत्र के जाप से भक्तों के परिवार में खुशहाली आने के साथ यश और बल में भी वृद्धि होते हैं। मंदिर में पंडित और भक्तों ने अपने घरों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सुबह और संध्या बेला माता की आरती किए।

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