रोजगार को लेकर श्रमिकों का पलायन लगातार जारी

बंद पड़े उद्योग धंधे के बीच परिवार के भरण पोषण के लिए हजारों की संख्या में रोजगार के लिए पलायन हुए श्रमिक कोरोना संक्रमण काल में अधिकांश प्रवासी श्रमिक घर वापस लौट आए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 08:25 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 08:25 PM (IST)
रोजगार को लेकर श्रमिकों का पलायन लगातार जारी
रोजगार को लेकर श्रमिकों का पलायन लगातार जारी

संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज): बंद पड़े उद्योग धंधे के बीच परिवार के भरण पोषण के लिए हजारों की संख्या में रोजगार के लिए पलायन हुए श्रमिक कोरोना संक्रमण काल में अधिकांश प्रवासी श्रमिक घर वापस लौट आए। वहीं सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की गारंटी का आश्वासन देने के बावजूद इस दिशा में सरकार व प्रशासन की ओर से रोजगार मुहैया कराने में असफल साबित हुआ। फलस्वरूप आर्थिक तंगी से गुजरने के कारण परिवार के भरण पोषण की चिता उन्हें फिर से रोजी रोटी के लिए पलायन करने पर मजबूर कर दिया।

आज भी क्षेत्र के श्रमिक नित्य रोजी रोटी के लिए प्रदेश पलायन कर रहे हैं। जबकि कृषि प्रधान इस क्षेत्र में पहले कई उद्योग घंधे फल फुल रहे थे। सरकार की गलत नीति व उपेक्षा पूर्ण रवैया के कारण अधिकांश फैक्ट्रियों को बंद करना पड़ा। चाहे पूर्णिया जिला स्थित बनमनखी चीनी मिल हो, कटिहार का जुट मील, अररिया जिला के फारबिसगंज स्थित राइस मील हो, सहरसा का पेपर मील या फिर किशनगंज जिला के किशनगंज, बहादुरगंज व ठाकुरगंज प्रखंड में संचालित करीब आधा दर्जन राइस मील। वहीं किशनगंज के भेड़ियाडांगी प्रखंड कार्यालय समीप खुलने वाला जुट मील भी राजनीतिक का शिकार होकर खुलने के पहले ही बंद हो गया। इसके अलावा लगभग हर जिला में कोई न कोई औद्योगिक मील या संयंत्र था। भागलपुर से लेकर मुजफ्फरपुर, सीतामढी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण में चीनी मील, जुट मील, पेपर मील, सिल्क उद्योगग, सत्तू उद्योग सहित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का जाल बिछा हुआ था। लाखों लोग अपने घर के आस पास ही इन फैक्ट्रियों में रोजगार कर अपने परिवार का आराम से भरण पोषण किया करते थे। वहीं किसानों को उनके फसल का वाजिब मूल्य मिलता था। बिहार से निर्मित सामान अन्य जगह निर्यात किया जाता था। परन्तु कालांतर सरकार की उदासीनता व कुछ असामाजिक तत्वों के कारण धीरे-धीरे सभी उद्योग धंधे आगे बढ़ने के जगह बंद हो गए। आज बिहार लेबर जोन बन कर गया है। रोजी रोटी के अभाव में यहां से लाखों लोग हजारों किमी दूर मजदूरी करने जाते हैं। जबकि बिहार में उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल, श्रम बल, ऊर्जा के साथ निर्मित उत्पाद के लिए बहुत बड़ा मार्केट भी उपलब्ध है।

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