बदलते मौसम में नवजातों की करें समुचित देखभाल
शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर संभव कार्य किए जा रहे हैं।
संवाद सहयोगी, किशनगंज : शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर संभव कार्य किए जा रहे हैं। नवजात शिशु की समुचित देखभाल के लिए संस्थागत प्रसव को जरूरी माना गया है। प्रसव के 48 घंटे तक मां व शिशु को अस्पताल की विशेष निगरानी में रखने की सलाह दी जाती है। यह जानकारी बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे सिविल सर्जन डा. श्रीनंदन ने दी।
उन्होंने बताया कि बीमार बच्चों की देखभाल के लिए सदर अस्पताल में एसएनसीयू सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों में एनबीएसयू का सफल संचालन हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग अलग-अलग गतिविधि आयोजित कर लोगों को शिशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने में लगा है। मां और गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल भावनात्मक एवं शारीरिक दोनों स्तर पर जोड़ता है। इसलिए शिशु जन्म के बाद भी गर्भनाल के बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। बेहतर देखभाल के अभाव में नाल में संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है। वहीं डा. शबनम यासमीन ने बताया कि जन्म के बाद बच्चों के शरीर को अच्छे से पोछ कर नर्म कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध नवजात को पिलाना जरूरी है। छह माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराए। जन्म के तुरंत बाद बच्चों के वजन की माप जरूरी है। कम वजन व समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। डबल्यूएचओ के अनुसार जन्म के शुरुआती सात दिनों में होने वाले नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण भी एक प्रमुख कारण रहता है। ठंड के मौसम में बच्चों के बीमार होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और मां के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने में पांच से लेकर 10 दिन लग सकते हैं।