सदर अस्पताल में किडनी के मरीजों को मिल रही डायलिसिस की सुविधा

किशनगंज। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्राम के तहत सदर अस्पताल में संचालित डायलिसिस सेंटर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:41 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:41 PM (IST)
सदर अस्पताल में किडनी के मरीजों को मिल रही डायलिसिस की सुविधा
सदर अस्पताल में किडनी के मरीजों को मिल रही डायलिसिस की सुविधा

किशनगंज। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्राम के तहत सदर अस्पताल में संचालित डायलिसिस सेंटर किडनी के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। गत 20 फरवरी को सेंटर की शुरुआत के बाद से अबतक 500 से अधिक रोगियों का सफल डायलिसिस की जा रही है। अपोलो डायलिसिस प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के द्वारा पीपीपी मोड पर संचालित इस सेंटर में गरीब और बीपीएल कार्ड धारियों को डायलिसिस के साथ साथ दवा मुफ्त दी जा रही है। अन्य लोगों से प्रति डायलिसिस मात्र 1745 रुपये लिए जा रहे है।

गंभीर रूप से बीमार मरीजों को चिकित्सीय सलाह देने के लिए प्रत्येक माह में दो दिन विशेषज्ञ नैफ्रोलाजिस्ट चिकित्सक भी उपलब्ध रहते हैं। जबकि सेंटर के संचालन के लिए एक एमबीबीएस चिकित्सक, तीन टेक्नीशियन, एक नर्सिंग स्टाफ सहित अन्य कर्मियों की तैनाती की गई है। लेकिन आईसीयू की व्यवस्था नहीं रहने के कारण डायलिसिस के बाद मरीजों को घर वापस भेज दिया जाता है। इस सेंटर में किडनी रोग से ग्रसित मरीजों के साथ साथ हेपेटाइटिस सी से ग्रसित मरीजों के डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध है। लेकिन हेपेटाइटिस बी से ग्रसित मरीजों के लिए फिलहाल कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं सिविल सर्जन डा.श्रीनंदन ने बताया कि बताया कि डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति का गुर्दा सही से काम नहीं करता है। इसके अलावा गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। डायलिसिस स्थायी और अस्थाई होती है। यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है। उन्होंने बताया कि निजी क्लीनिक में एक बार डायलिसिस कराने में चार से पांच हजार रुपये से अधिक खर्च लगता था, लेकिन अब सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगने से कम राशि में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो रही है। पूर्व में 95 प्रतिशत किडनी क्षतिग्रस्त होने पर मरीजों को डायलिसिस के लिए पटना या सिलीगुड़ी रेफर करना पड़ता था। लेकिन अब ऐसे मरीजों का इलाज सदर अस्पताल में ही संभव है। उन्होंने बताया कि फिलहाल डायलिसिस के लिए पांच मशीनें लगाई गई है। लेकिन मरीजों की संख्या में इजाफा होने के बाद शेष चार मशीनें भी चालू कर दी जाएगी।

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