गांवों में बाढ़ का पानी घुसने से सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को ग्रामीण मजबूर
किशनगंज। बीते तीन दिनों से हो रही बेमौसम बारिश से क्षेत्र से गुजरने वाली अधिकांश नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई पंचायतों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। खासकर पश्चिमी हिस्से के कौल-कनकई नदी से लगे पंचायतों के कई गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।
किशनगंज। बीते तीन दिनों से हो रही बेमौसम बारिश से क्षेत्र से गुजरने वाली अधिकांश नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई पंचायतों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। खासकर पश्चिमी हिस्से के कौल-कनकई नदी से लगे पंचायतों के कई गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।
अलग-अलग पंचायत के तकरीबन आधे दर्जन से ज्यादा गांव में लोगों के घर-आंगन में पानी लबालब भर जाने से लोग अपना घर द्वार छोड़ कर सुरक्षित स्थान पर शरण लेने के लिए मजबूर हो गये हैं। वहीं सैंकड़ों एकड़ जमीन में लगे धान की फसल भी बुरी तरह बर्बाद हो गई है। जिससे प्रभावित लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बेमौसम मुसलाधार बारिश से हर ओर तबाही का नजारा को देखने को मिल रहा है। ऐसे में लोग अपने भविष्य को लेकर सशंकित हो गए हैं। उधर तबाही के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी व पंचायत के जनप्रतिनिधि भी प्रभावित जगहों तक जाकर स्थिति का आकलन करने में लगे हैं। प्रभावित पंचायतों में दुर्गापुर, बनगामा, महेशबथना, निसन्दरा, लौचा व भाटाबाड़ी मुख्य रूप से शामिल हैं। जहां महेशबथना पंचायत के केकाहाट, खाड़ीटोला एवं लौचा के युनुस टोला, बोचागाड़ी, धीमटोला व तेघरिया तथा निसन्द्रा पंचायत के मुसलडांगा व दुर्गापुर के गांव काफी प्रभावित है। इस बीच बाढ़ जैसी हालात को देखते हुए बहादुरगंज अंचल पदाधिकारी अजय कुमार ने अपनी टीम के कर्मचारियों के साथ बाढ़ व कटाव से प्रभावित हुए पंचायतों का मुआयना किया एवं लोगों को प्रशासनिक निर्देश के आलोक में समुचित सहयोग का भरोसा भी दिलाया है। वहीं लोग तत्काल राहत बचाव के लिए अन्य जगह शरण ले रहे हैं। लगातार बारिश होने से नदियों के जलस्तर में कमी नहीं होने से क्षेत्र के लोग चितित हैं।
धान और सब्जी बर्बाद::
बाढ़ और बारिश के पानी के कारण किसानों को हर ओर बर्बादी का मंजर दिख रहा है। बाढ़ के पानी के कारण खेत में लगे धान के फसल डूब चुके हैं। जो धान कुछ दिनों बाद कटता वह धान अब नुकसान हो गया है। किसान अपनी फसल देख चितित हो उठे हैं। वहीं आलू सहित कई सब्जियां जो खेत में लगाए गए थे वह नुकसान हो गया। वहीं अब नई सब्जी और फसल भी पानी के कारण देर से लगेगा और देर से कटेगा। इस कारण यह पानी ने किसानों की चिता बढ़ा दी है।