आखिर कब ठाकुरगंज बनेगा अनुमंडल

किशनगंज। जिला बनने के 29 वर्षों के बाद भी यहां दूसरा अनुमंडल नहीं बन सका। विगत कुछ वर्षों स

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 06:04 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:04 PM (IST)
आखिर कब ठाकुरगंज बनेगा अनुमंडल
आखिर कब ठाकुरगंज बनेगा अनुमंडल

किशनगंज। जिला बनने के 29 वर्षों के बाद भी यहां दूसरा अनुमंडल नहीं बन सका। विगत कुछ वर्षों से ठाकुरगंज प्रखंड को अनुमंडल बनाने की मांग की जा रही है। चुनाव आते ही यह मुद्दा अब जोर पकड़ने लगा है। ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के आमलोगों में ठाकुरगंज को अनुमंडल बनाने के साथ साथ पौआखाली को भी प्रखंड का दर्जा दिए जाने के मुद्दे को लेकर लोग नेताओं को घेरने के मूड में है।

पटेशरी पंचायत निवासी व व्यवसायी मीर महफूज आलम का कहना है कि सूबे की राजनीति में खासा प्रभाव रखने वाले जनप्रतिनिधि लंबे अर्से से ठाकुरगंज और जिला का नेतृत्व कर रहे हैं। ठाकुरगंज को अनुमंडल बनाने को लेकर ठोस पहल नहीं की गई। अनुमंडल बन जाने से आम जनता को कई परेशानी से छुटकारा मिल जाता।

युवा मतदाता सालिम अहमद का कहना है कि चुनाव में जिस दल का जो भी एजेंडा हो, लेकिन ठाकुरगंज का अनुमंडल नहीं बन पाना ही चुनावी मुद्दा होगा। इस बार हम युवा मतदाता इस सवाल से सभी दलों के प्रत्याशियों को घेरेंगे। आखिर क्या कारण है कि ठाकुरगंज जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को अनुमंडल नहीं बनाया गया है।

व्यवहार न्यायालय किशनगंज के अधिवक्ता और ठाकुरगंज नगर निवासी कौशल किशोर यादव बताते हैं कि नेताओं को जनता की संवेदना को समझना चाहिए। ठाकुरगंज का अनुमंडल नहीं बन पाना यहां के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की हार है। इसके लिए सभी दलों के नेता दोषी हैं। जिन्हें राज्य और देश की बड़ी पंचायत में भेजा गया उनकी पूर्णतया दायित्व बनता है कि वे जनहित में ऐसे कार्यों को अंजाम दें।

नेपाल व पश्चिम बंगाल से सटे गलगलिया निवासी आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि ठाकुरगंज अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित रहने के कारण इसका विशेष सामरिक और व्यापारिक महत्व है। सीमावर्ती थानों के अलावा यहां एसएसबी मुख्यालय, कस्टम कार्यालय और अन्य सुरक्षा एजेसियों के कार्यालय हैं। इस बार प्रत्याशियों से अनुमंडल के सवाल उनकी मंशा पूछेंगे कि एक लंबा अर्सा बीत जाने के बावजूद ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा नहीं दिया जाना क्या हमलोगों के साथ अन्याय नहीं है।

गलगलिया बाजार निवासी सुनील कुमार कहते हैं कि यहां के कोई भी जनप्रतिनिधि जन मुद्दों को तवज्जो नहीं देते हैं। वे चुनाव के पूर्व घोषणाएं बड़ी बड़ी करते हैं। चुनाव खत्म हो जाने पर सारी घोषणाएं हवा हो जाती है। यदि ठाकुरगंज को अनुमंडल बना दिया जाता तो रोजगार सृजन से लेकर तमाम सहूलियतें मिल जाती।

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