अभियान : पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए नई पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत
संवाद सहयोगी किशनगंज पेड़-पौधे मंद हवाओं के झोंकों के साथ लहलहाते हरे-भरे खेतों मे
संवाद सहयोगी, किशनगंज : पेड़-पौधे मंद हवाओं के झोंकों के साथ लहलहाते हरे-भरे खेतों में फसल खिलखिला उठती है। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी चित्रकार ने धरती को हरे-भरे रंग से रंगीन बना दिया हो। इसके लिए जरूरी है कि स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पौधारोपण अभियान से जोड़ा जाय। पौधारोपण अभियान को बढ़ावा देने के लिए छात्र-छात्राएं इस अभियान का महत्वचपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं। सरकार पौधारोपण के लिए गैर सरकारी संगठन का भी प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अनुदान देने की व्यवस्था करे। ताकि इस संगठन के सदस्य संगीत और नाटक के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पौधारोपण के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक करते हुए इसे जन आंदोलन का रूप दे सकें।
यह जानकारी देते हुए पौधारोपण के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे तफीमुर्रहमान ने बताया कि वैसे भी छात्रों को पौधारोपण के महत्व और पर्यावरण विज्ञान वर्ग में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए अनेक जानकारी दिए जाते हैं। इस क्रम में विद्यार्थी केवल अपनी परीक्षा के लिए सबक सीखते हैं और परीक्षा पास करने के बाद इसपर विशेष ध्यान नहीं देते। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। जबकि पौधा और बढ़ते पेड़ों के महत्व के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने की सख्त जरूरत है। गैर सरकारी संगठन के साथ सकूल-कॉलेज के विद्यार्थी पौधारोपण के लिए एक महीना में कम से कम एक बार अवश्य विचार गोष्ठी आयोजित करें। अक्सर देखा गया है कि सैद्धांतिक ज्ञान की तुलना में व्यवहारिक अनुभव हमेशा ही प्रभावशाली रहा है। सरकारी स्तर पर पंचायत से लेकर जिला स्तर तक पौधारेपण के लिए ग्रुपवार प्रतियोगिता आयोजित किए जाने चाहिए। इस प्रतियोगिता में पौधारोपण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर चयनित करके पुरस्कृत किए जाने की नीति बनानी होगी। इसके अलावा पौधौं की देखभाल करने वाले ग्रामीणाों को पंचायत स्तर पर पुरस्कृत करने के साथ उन्हें जन आंदोलन अभियान में शामिल किया जाए तो निश्चित ही पौधारोपण की गति तीव्र हो सकती है।