95 वर्षो से होती आ रही है मां बारोबारी दुर्गा की पूजा

किशनगंज। दुर्गा पूजा के निकट आते ही तैयारियों को लेकर पूजा स्थल में पंडाल निर्माण व मंदिर रंगरोगन का कार्य तेजी से जारी है। जिले में कई जगहों पर भव्य पंडाल के निर्माण के साथ ही मां दुर्गा की पूजा होती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 09:56 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 09:56 PM (IST)
95 वर्षो से होती आ रही है मां बारोबारी दुर्गा की पूजा
95 वर्षो से होती आ रही है मां बारोबारी दुर्गा की पूजा

किशनगंज। दुर्गा पूजा के निकट आते ही तैयारियों को लेकर पूजा स्थल में पंडाल निर्माण व मंदिर रंगरोगन का कार्य तेजी से जारी है। जिले में कई जगहों पर भव्य पंडाल के निर्माण के साथ ही मां दुर्गा की पूजा होती है। इसी में से एक डेमार्केट स्थित बारोबारी दुर्गा स्थान है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। वर्ष 1925 में पूजा की शुरूआत की गयी थी। पूजा की शुरूआत बंगाली समाज के स्वर्गीय विधु भूषण भट्टाचार्य ने अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ की थी।

इसके बाद धीरे- धीरे समाज के लोग पूजा में अपना सहयोग करने लगे। पहले पूजा टीन के बने मंदिर में की जाती थी जिसके बाद 1951 में मंदिर का स्थान परिवर्तन कर छत वाले मंदिर में पूजा की जाने लगी। इस मंदिर की कई विशेषताएं है। मंदिर में हर साल बंगाल की रूप रेखा में बनी मां दुर्गा की प्रतिमा लगाई जाती है। साथ ही बंगाली विधि विधान से ही पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए पूजा में मंदिर बंगाली समाज के लोगों की भीड़ उमड़ती है। पिछले 95 वर्षों से होती आ रही पूजा में यहां पंचमी को मां दुर्गा का पट खुलने के साथ ही पूजा अर्चना शुरू होती है। वैसे तो जगह के अभाव में भव्य पंडाल के निर्माण नहीं किया जाता है लेकिन मंदिर को आकर्षक फूल पत्तियों व लाइटों से सजावट की जाती है। वहीं बाजार के मुख्य मार्ग में होने के कारण पूजा की काफी धूम देखने को मिलती है। बंगाली रूप रेखा में तैयार प्रतिमा ही पूजा की मुख्य आकर्षण का केंद्र बना रहता है। पूजा कमेटी के सदस्य सुरेश भट्टाचार्य ने बताया कि इस बार पूजा का बजट दो से सावा दो लाख का रखा गया है। जिसे सामाजिक सहयोग से पूरा कर लिया जाता है।

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