ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान की आमदनी हो सकती चौगुनी

किशनगंज। इम्यूनिटी बूस्टर के नाम से जाना जाने वाला ड्रैगन फ्रूट कोरोना संक्रमण काल में काफी चर्चा में रहा। इस फल के बाजार में आते ही खरीदारी में काफी तेजी आ गई है। वर्तमान समय में बंगाल के कोलकाता और सिलीगुड़ी सहित अन्य बड़े शहरों में भी इस फल की मांग लगातार बढ़ने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 12:16 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:16 AM (IST)
ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान   की आमदनी हो सकती चौगुनी
ड्रैगन फ्रूट की खेती कर किसान की आमदनी हो सकती चौगुनी

किशनगंज। इम्यूनिटी बूस्टर के नाम से जाना जाने वाला ड्रैगन फ्रूट कोरोना संक्रमण काल में काफी चर्चा में रहा। इस फल के बाजार में आते ही खरीदारी में काफी तेजी आ गई है। वर्तमान समय में बंगाल के कोलकाता और सिलीगुड़ी सहित अन्य बड़े शहरों में भी इस फल की मांग लगातार बढ़ने लगे हैं। वैज्ञानिक डा.हेमंत कुमार ने शुक्रवार को किसानों को प्रशिक्षण के अंतिम दिन ड्रैगन फ्रूट खेत पर ले जाकर आन स्पाट प्रशिक्षण देने के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए कटिहार आत्मा के द्वारा चयनित किसानों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। छोटे किसान 50 से लेकर 100 पौधे लगातार ड्रेगन फ्रूट की खेती शुरु कर सकते हैं। एक ड्रेगन फ्रूट पौधे की कीमत 60 रुपये होती है। ड्रेगन फ्रूट का उत्पादन प्रति हेक्टेयर पांच से लेकर सात टन तक होने की संभावना बनी रहती है। क्वीन आफ नाइट्स के नाम से जाना जाने वाला ड्रैगन फ्रूट ह्नदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और मोटापा को नियंत्रित करने में सहायक होता है। 2014 में जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में 10 एकड़ जमीन पर इसकी खेती शुरु की गई। वर्तमान समय में 12 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है। ड्रैगन फ्रूट का एक पौधा 25 वर्ष तक फल देने में सक्षम होता है। इस फल के खेती के लिए पिलर लगाना पड़ता है। एक पिलर पर अधिक से अधिक चार पेड़ की लत्तीनुमा मोटी शाखा चढ़ाई जाती है। वैज्ञानिक डा. हेमंत कुमार ने बताया कि मार्च माह में फूल आते हैं। साथ ही 35 दिनों में फल पक कर तैयार हो जाते हैं। छह से लेकर सात माह तक लगातार फल आते रहते हैं। इससे पहले भी कृषि विज्ञान केंद्र से मुंगेर जिला के 18 किसान प्रशिक्षण ले चुके हैं। इस दौरान मुख्य रूप से केवीके के वरीय वैज्ञानिक इंजीनियर मनोज कुमार राय, वैज्ञानिक डा. नीरज प्रकाश, नंदिनी राय, प्रक्षेत्र प्रबंधक सुनीता कुमारी, राकेश मंडल, इंद्रजीत यादव सहित कई किसान मौजूद रहे। इस संबंध में ड्रेगन फ्रूट उत्पादक किसान नगराज नखत ने बताया कि किसानों को ड्रैगल फ्रूट बेचना बहुत ही सुगम हो गया है। बंगाल के सिलीगुड़ी और कोलकाता सहित कई शहरों में इस फल के खरीदार अधिक मिल जाते हैं। खेत से सीधा बिक्री करने पर किसानों को इस फल की कीमत 250 से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक मिलते हैं। लेकिन बाजार में लोगों को यह फल 400 से लेकर 500 रुपये किलो तक उपलब्ध हो पाता है। सामान्य रूप से एक एकड़ जमीन पर एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं।

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कोट के लिए

फोटो - 30 केएसएन 17,

ड्रैगन फ्रूट इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह फल दिल के मरीज के लिए संजीवनी के समान है। महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर में भी कारगर है। पेट की समस्या को दूर करने के साथ वजन घटाने में भी कारगर है। सामान्य रुप से एक ड्रैगन फ्रूट में 60 कैलोरी उर्जा रहती है। इनमें विटामिन सी और जिक का अधिक मात्रा होने के साथा विटामिन सहित आयरन, कैल्सियम और फॉस्फोरस भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन सी प्रचुर मात्रा में रहने के कारण कोरेाना काल में इसके प्रयोग से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेंगे और इंसान स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है।

इंजीनियर मनोज कुमार राय, वरीय वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र

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