गांव में नहीं मिल रहा रोजगार, दूसरे प्रदेश लौट रहे मजदूर

किशनगंज। गांवों में रोजगार उपलब्ध नहीं होने से परिवार का गुजर बसर करना संभव नहीं है ि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 07:35 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 07:35 PM (IST)
गांव में नहीं मिल रहा रोजगार, 
दूसरे प्रदेश लौट रहे मजदूर
गांव में नहीं मिल रहा रोजगार, दूसरे प्रदेश लौट रहे मजदूर

किशनगंज। गांवों में रोजगार उपलब्ध नहीं होने से परिवार का गुजर बसर करना संभव नहीं है जिसके चलते अब प्रखंड क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार के लिए फिर से पलायन करना पड़ रहा हैं। एक तरफ जहां देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन की संभावना बनती दिख रही है, वहीं हाल ही घर लौटे लोगों का एक बार फिर से अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने का सिलसिला शुरू हो चुका है।

रविवार को पोठिया प्रखंड क्षेत्र के बुढ़नई पंचायत के गलगलियापुल टप्पू गांव से तकरीबन 70 मजदूरों को पंजाब के लुधियाना ले जाने के लिए बकायदा एक बस भेजकर उन्हें वापस बुला लिया है। पंजाब नंबर की इस बस के ड्राइवर ने कहा कि उनके मालिक ने सरकार से अनुमति प्राप्त कर एक बस भेजा है जिसमें यहां से मजदूरों को ले जाया जाएगा। बस के ड्राइवर ने बताया कि मालिक ने पंजाब सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद सारे नियम का पालन करते हुए बस को किशनगंज भेजा है, ताकि प्रवासी मजदूरों को ले जाया जा सके। मजदूरों को ले जाने के दौरान शारीरिक दूरी का पालन किया जाएगा।

कोरोना संक्रमण के के खतरे के बावजूद वापस दूसरे प्रदेश लौट रहे मजदूरों ने बताया कि हमलोग पिछले कई वर्षों से ठेकेदार के माध्यम से पंजाब के अलग-अलग जगहों पर गेहूं कटाई एवं धानरोपनी का काम करते हैं। अब इस समय गेहूं कटाई का समय है। कोरोना वायरस महामारी के रोकथाम के लिए सरकार द्वारा अगर लॉकडाउन कर दिया जाएगा तो हमलोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पिछले साल किसी तरह बस भाड़ा कर लॉकडाउन में घर पहुंचे थे। तब यह सोचे थे कि अब अपने पंचायत में ही मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे। लेकिन लॉकडाउन समाप्त होने के बाद यहां काम नहीं मिल रहा है। रोटी के साथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की चिता हमें सताने लगी है। इस दौरान हमारे मालिक ने दोबारा जाने के लिए ठेकेदार के माध्यम से बस भेज दिया है जिससे हमलोग आज पंजाब के लुधियाना के लिए रवाना हो रहे हैं। कोरोना के खतरे के बावजूद हमें अपने परिवार का पेट पालने तथा अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए बाहर मजदूरी करने के लिए जाना पड़ रहा है। सरकार ने घोषणा की थी कि अब मजदूरों को अपने प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराया जाएगा। लेकिन सरकार की यह घोषणा कागज पर ही सिमट कर रह गया।

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