विद्यालयों में डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई

दिघलबैंक प्रखंड के अंतर्गत सभी विद्यालयों में डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 07:58 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 07:58 PM (IST)
विद्यालयों में डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई
विद्यालयों में डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई

संवाद सूत्र, दिघलबैंक (किशनगंज): दिघलबैंक प्रखंड के अंतर्गत सभी विद्यालयों में डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मनाई गई। इस मौके पर विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने राजेंद्र प्रसाद के चित्रों पर पुष्प माला अर्पित करते हुए बच्चों को उनके जीवन के संबंध में जानकारी दी।

शुक्रवार के दिन उत्क्रमित मध्य विद्यालय मिर्धनडांगी के प्रधानाध्यापक अहसन जफर माहिर ने बच्चों को बताया कि डा. राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति थे। वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अवकाश की घोषणा की थी। अवकाश ले लेने के बाद ही उन्हें भारत सरकार की ओर से सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। राजेंद्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी। उनको देखकर पता ही नहीं लगता था कि वह इतने प्रतिभा संपन्न और व्यक्तित्व वाले सज्जन हैं। देखने में हुए सामान्य किसान जैसे लगते थे। वह हर भाषा के प्रेमी थे लेकिन हिदी में विशेष लगाव था। राजेंद्र बाबू की पढ़ाई फारसी और उर्दू से शुरू हुई थी। फिर भी उन्होंने बीए में हिदी भाषा ले रखी थी। अंग्रेजी, हिदी, उर्दू, फारसी और बंगाली सहित साहित्यों से भी पूरी तरह परिचित थे। गुजराती का भी व्यावहारिक ज्ञान उन्हें था। हिदू कानून का उन्होंने संस्कृत ग्रंथों में भी अध्ययन किया था। हिदी के प्रति उन्हें अगाध प्रेम था। हिदी पत्र-पत्रिकाओं जैसे भारत मित्र, भारत उदय, कमला, आदि में उनके लेख छपते थे। वहीं प्रधानाध्यापक ने बच्चों को डा. राजेंद्र प्रसाद के संबंध में अनेक जानकारी देते हुए उनके पथ पर चलने की बात कही। मौके पर विद्यालय के शिक्षक नवल नारायण चौधरी, नाहिदा बेगम, शिक्षिका नूतन देवी, फराह दिवा, नसरीन फातमा सहित अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं और स्कूली छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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