यास और बरसात ने मक्का किसानों को किया बर्बाद, पलायन को विवश

खगड़िया। जिले में 50 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा बेलदौर प्रखंड की है। यहां 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 12:28 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 12:28 AM (IST)
यास और बरसात ने मक्का किसानों को किया बर्बाद, पलायन को विवश
यास और बरसात ने मक्का किसानों को किया बर्बाद, पलायन को विवश

खगड़िया। जिले में 50 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा बेलदौर प्रखंड की है। यहां 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की जाती है। लेकिन, मक्का किसानों की अरमानों पर पहले यास चक्रवात और अब बीते कई दिनों से जारी मूसलाधार बारिश ने पानी फेर दिया है। वे खून के आंसू रो रहे हैं। हालत यह है कि खेत-खलिहान में मक्के की बाली सड़ रही है। बाली से पौधे निकलने लगे हैं। साधारण किसान अब धान रोपने पंजाब- हरियाणा का रूख कर रहे हैं। यास चक्रवात से हुए नुकसान को लेकर विभाग ने जो सर्वे किया है उस पर सवाल उठ रहे हैं। मालूम हो कि बीते दो वर्षों से किसानों को मक्का का सही दाम नहीं मिल रहा है। 12 सौ रुपये क्विटल खरीदार नहीं हैं। जबकि 2019 में 18 सौ से 22 सौ रुपये प्रति क्विटल मक्का की बिक्री हुई थी। किसानों का मक्का की खेती से मोह भंग होने लगा है। किसानों के मुताबिक यास चक्रवात से बेलदौर प्रखंड क्षेत्र में पांच हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल नष्ट हुई। जबकि कृषि विभाग का आकलन करीब 757 हेक्टेयर है।

किसानों के मुताबिक महिनाथ नगर मौजा में करीब सौ हेक्टेयर फसल क्षति हुई है। परंतु, विभागीय रिपोर्ट 15 हेक्टेयर फसल क्षति की है। माली में भी सौ हेक्टेयर में मक्का की फसल नष्ट हुई है। जबकि विभागीय रिपोर्ट 43 हेक्टेयर की है। कंजरी में 75 के बाबत विभाग 52 हेक्टेयर, बीरा मौजा में 22 के बाबत 10, गवास में 56 के बदले 38, पीरनगरा में दो सौ हेक्टेयर क्षति के बाबत 25 हेक्टेयर फसल क्षति होने की रिपोर्ट है। इस संबंध में प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी ओमप्रकाश यादव ने बताया कि मानसून की बारिश से हुई फसल क्षति को लेकर कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। यास चक्रवात में 755 हेक्टेयर फसल क्षति हुई। मुआवजे को लेकर आवंटन की मांग की गई है। केस स्टडी: एक महिनाथ नगर के पिटू मुखिया ने दो बीघा में मक्का की खेती की थी। फसल पककर तैयार होने बाद कटाई कर मक्का की बाली के ढेर को खेत में जमा कर दिया। लेकिन यास चक्रवात के कारण मक्का की बाली पानी में तैरने लगा और सारी फसल नष्ट हो गई। खेती में करीब 40 हजार रुपये खर्च आया था। पूंजी भी डूब गई। महाजन का कर्ज बढ़ता देख परिवार को घर पर छोड़ वे ट्रेन पकड़कर हरियाणा मजदूरी करने चले गए। वहां धान की रोपाई करेंगे। केस स्टडी: दो इतमादी पंचायत की सरस्वती नगर निवासी अमित पंडित ने डेढ़ बीघा में मक्का की खेती की थी। 30 हजार रुपये खर्च आया। परंतु, तैयार मक्का मूसलाधार बारिश की भेंट चढ़ गई। किसी तरह से सड़ा- गला करीब 10 क्विटल दाना घर पहुंचा। जिसका कोई खरीदार नहीं है। वे एक सप्ताह पूर्व मजदूरी करने महाराष्ट्र चले गए।

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