जबतक पुनर्वास नहीं तबतक तटबंध पर से हटेंगे नहीं
खगड़िया। बागमती नदी के कटाव से विस्थापित तेगाछी के दर्जनों परिवार बीएन तटबंध पर बीते तीन दशकों से शरण लिए हुए हैं। एक बार फिर से विस्थापित परिवारों को विस्थापन का डर सता रहा है।
जबतक पुनर्वास नहीं तबतक तटबंध पर से हटेंगे नहीं
खगड़िया। बागमती नदी के कटाव से विस्थापित तेगाछी के दर्जनों परिवार बीएन तटबंध पर बीते तीन दशकों से शरण लिए हुए हैं। एक बार फिर से विस्थापित परिवारों को विस्थापन का डर सता रहा है। विस्थापितों का कहना है कि जबतक पुनर्वास नहीं मिलेगा, तबतक तटबंध खाली नहीं किया जाएगा। इसको लेकर गुरुवार को विस्थापितों ने बीएन तटबंध स्थित तेगाछी में एक बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब पुनर्वास के लिए फिर से आंदोलन किया जाएगा। बता दें कि पिछले 30 वर्षों से विस्थापित परिवार बीएन तटबंध पर जिदगी काटने को विवश हैं। विस्थापित वर्षों से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। परंतु, इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। विस्थापितों का कहना है कि तटबंध निर्माण कर रही कंपनी के कर्मियों द्वारा घर हटाने को लेकर धमकी दी जा रही है। ऐसे में विस्थापित कहां शरण लें। पुनर्वास की मांग को लेकर हो चुका है कई बार आंदोलन पुनर्वास की मांग को लेकर तेगाछी के विस्थापित कई बार आंदोलन कर चुके हैं। वर्ष 2019 में 27 दिनों तक विस्थापितों ने बीएन तटबंध पर धरना दिया था। तब तत्कालीन डीएम अनिरुद्ध कुमार के आश्वासन पर धरना समाप्त किया गया था। उस वक्त डीएम ने आश्वासन दिया था कि तीन महीने के अंदर पुनर्वास देकर सभी विस्थापित परिवारों को बसाया जाएगा। परंतु, दो साल बीत जाने के बाद भी पुनर्वास का लाभ नहीं मिल सका है। तटबंध निर्माण कंपनी जबरन घर हटाने की दे रहे धमकी दरअसल बदला-नगरपारा तटबंध का चौड़ीकरण व ऊंचीकरण का कार्य किया जा रहा है। इसको लेकर निर्माण कंपनी बीएससीपीएल के कर्मियों ने विस्थापित परिवारों से जाकर कहा कि तटबंध को खाली करो। मिट्टी भरी जाएगी। इधर विस्थापित परिवारों का कहना है कि उन्हें प्रशासन द्वारा कोई नोटिस भी नहीं दी गई है। कंपनी के कर्मी असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर तटबंध खाली करने का दबाव बना रहे हैं। पीड़ितों की सुनें तेगाछी के विस्थापित बनेलाल सिंह, जय सिंह, नेपाली दास, संजीत दास, मिथुन दास, पवन दास, मीणा देवी आदि ने बताया कि तीन दशक पूर्व उनके घर बागमती नदी के किनारे में था। नदी के कटाव से तीन बार बेघर हुए। पहले तो अपनी जमीन थी, तो किसी तरह से अपना घर बना लिए। परंतु, जब सारी जमीन नदी में समा गई, तो बीएन तटबंध पर आकर शरण लेना पड़ा। विस्थापितों ने एक स्वर में कहा कि जबतक पुनर्वास नहीं दिया जाएगा, तबतक किसी भी सूरत में तटबंध खाली नहीं किया जाएगा। कोट विस्थापित परिवारों के पुनर्वास को लेकर जमीन की तलाश की जा रही है। पूर्व में जो जमीन चिन्हित की गई थी, वह विवादित थी। जल्द ही निदान निकाला जाएगा। भरत भूषण सिंह, सीओ, चौथम