मां के साथ मिलकर बेटी ने बदली परिभाषा, जिलावासी कर रहे गर्व

खगड़िया। आज के समय में बेटा-बेटी का फर्क मिटने लगा है। अब लोग बेटियों को कमतर नहीं समझते हैं। जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की कई मिसाले हैं। उनमें बीपीएससी में पांचवां रैंक प्राप्त करने वाली श्रीया सलोनी का परिवार भी शामिल है। उनके माता-पिता ने बेटियों को बेटे की तरह पाला और पढ़ाया-लिखाया। आज उसी का परिणाम है कि मदन साहू और ललिता देवी की तीनों पुत्रियों ने उनका मान बढ़ाया है। उनकी छोटी बेटी श्रीया सलोनी ने बीपीएससी में पांचवां रैंक लाने के बाद जिला ही नहीं राज्य स्तर पर ख्याति पाकर माता-पिता को गौरवान्वित किया है। मदन साहू को पुत्र नहीं है। तीन बेटियां हैं। पहली पुत्री हैदराबाद में एसबीआइ की शाखा प्रबंधक हैं। दूसरी सिप्पी सलोनी पटना में शिक्षिका हैं। अब श्रीया बीपीएससी में पांचवा रैंक लाकर परचम लहराया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 08:26 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 06:16 AM (IST)
मां के साथ मिलकर बेटी ने बदली परिभाषा, जिलावासी कर रहे गर्व
मां के साथ मिलकर बेटी ने बदली परिभाषा, जिलावासी कर रहे गर्व

खगड़िया। आज के समय में बेटा-बेटी का फर्क मिटने लगा है। अब लोग बेटियों को कमतर नहीं समझते हैं। जिले में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की कई मिसाले हैं। उनमें बीपीएससी में पांचवां रैंक प्राप्त करने वाली श्रीया सलोनी का परिवार भी शामिल है। उनके माता-पिता ने बेटियों को बेटे की तरह पाला और पढ़ाया-लिखाया। आज उसी का परिणाम है कि मदन साहू और ललिता देवी की तीनों पुत्रियों ने उनका मान बढ़ाया है। उनकी छोटी बेटी श्रीया सलोनी ने बीपीएससी में पांचवां रैंक लाने के बाद जिला ही नहीं राज्य स्तर पर ख्याति पाकर माता-पिता को गौरवान्वित किया है। मदन साहू को पुत्र नहीं है। तीन बेटियां हैं। पहली पुत्री हैदराबाद में एसबीआइ की शाखा प्रबंधक हैं। दूसरी सिप्पी सलोनी पटना में शिक्षिका हैं। अब श्रीया बीपीएससी में पांचवा रैंक लाकर परचम लहराया है। पुत्र नहीं होने का नहीं है मलाल, बेटियां बनीं परचम

खगड़िया विश्वनाथगंज निवासी मदन साहू साधरण मक्का व्यवसायी हैं। ये शहर के जयप्रकाश नगर में पहले रहते थे और अब विश्वनाथगंज में रहते हैं। इन्हें कोई पुत्र नहीं है, सिर्फ तीन पुत्रियां हैं। सबसे छोटी बेटी श्रीया सलोनी के बीपीएससी में पांचवां रैंक प्राप्त करने के बाद ये काफी चर्चा में आए। मदन साहू मक्का व्यवसाय करते हुए पत्नी ललिता देवी के साथ अपने तीनों पुत्रियों की बेहतर परवरिश और शिक्षा को लेकर

एड़ी-चोटी एक किए रहे। पुत्र के न होने का कभी इन्हें मलाल नहीं रहा और पुत्रियों को पुत्र की तरह पाला। कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद बेहतर शिक्षा दिलाने में पीछे नहीं रहे। मां ललिता देवी ट्यूशन कर बेटियों को बेहतर शिक्षा दी। आगे की पढ़ाई जारी रखने को लेकर श्रीया ने भी ट्यूशन का सहारा लिया। मां-पिता का आशीर्वाद और श्रीया की मेहनत ने उन्हें मुकाम पर पहुंचाया।

व्यापार में हुआ घाटा, कर्ज में डूबे, पर सपने देखना नहीं छोड़ा श्रीया सलोनी कहती हैं-माता-पिता ने कभी हम तीनों बहनों को बेटी होने का एहसास तक नहीं कराया। जब जो मांगी पूरा किया। श्रीया के अनुसार, वर्ष 2007 में मक्का व्यवसाय में पिता जी को काफी घाटा हुआ और कर्ज में डूब गए। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई थी। इसके बावजूद पढ़ाई व परवरिश में किसी तरह की कमी नहीं होने दी। उस समय नाना जी डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने आर्थिक मदद की। श्रेया की मां ललीता देवी ने कहा कि बेटियां उनका अभिमान हैं। एक समय परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था, तब तीनों बेटियां ही हिम्मत बनीं। मुझे अपनी बेटियों पर गर्व है।

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