मादक पदार्थ रखने को लेकर पुलिस लाइन में है व्यवस्था

खगड़िया । थानों में बने मालखाने से सामग्री गायब होने की बात अब पुरानी हो गई। डेढ़ दशक पूर्व

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 11:57 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 11:57 PM (IST)
मादक पदार्थ रखने को लेकर पुलिस लाइन में है व्यवस्था
मादक पदार्थ रखने को लेकर पुलिस लाइन में है व्यवस्था

खगड़िया । थानों में बने मालखाने से सामग्री गायब होने की बात अब पुरानी हो गई। डेढ़ दशक पूर्व नक्सल प्रभावित गंगौर ओपी के मालखाना में सेंधमारी हो गई थी। अपराधियों से बरामद करीब एक दर्जन हथियार गायब हो गए थे। उस समय के तत्कालीन ओपी अध्यक्ष शंकर साह द्वारा अज्ञात चोरों पर चोरी का केस दर्ज कराया गया था। मालखाना से हथियार गायब करने का मुख्य कारण था कि करीब एक किलोमीटर पर ओपी भवन चल रहा था और मालखाना अलग। हथियारों में जंग लगी थी। उस समय यह बहाना बनाया गया। आज तक हथियार गायब है और चोरों का भी अता-पता नहीं चल पाया। डेढ दशक पहले ही एक सेप के जवान ने एसपी को लिखकर दिया था कि कोतखाना में हथियार व गोली रखे थे। दो गोली चूहा खा गया। सेप जवान की बातों को सुनकर उस समय के एसपी भी हैरत करने लगे थे। पुलिस सूत्रों की माने तो मुफस्सिल थाना समेत कई थानों में बरामद गांजा मालखाने में रखे गए थे। शिकायत थी की गांजा गायब हो गई। संभव है कि कई थानों के मालखाना में चूहा सेंध कर दिया हो। दो दशक पहले मुफस्सिल पुलिस द्वारा एक ट्रक शराब बरामद किया गया था। मालखाना में शराब की बोतलें रखी गई थी। मालखाना भवन की जमीन में बड़े- बड़े गड्ढे हो गए थे। जब खोज आरंभ हुई तो कई बोतल गायब मिले। इसका सनहा दर्ज किया गया था। मगर अब इस तरह की शिकायतें नहीं मिलती है। बरामद व मालखाना में रखने वाले सामानों की सूची बनती है। इसका सत्यापन भी होता है।

पुलिस लाइन के मालखाना में रखा जाता है गांजा पुलिस मुख्यालय ने समीक्षा के दौरान माना कि थानों के मालखाना में मादक पदार्थ रखने, उसकी खुशबू की जद में आए लोग भी अपराध की श्रेणी में आता है। सभी जिलों में पुलिस लाइन में मालखाना तैयार किया गया। अब गांजा के साथ ही अन्य मादक पदार्थों की बरामद पर उसे पुलिस लाइन के मालखाना में रखने का प्रावधान है। मालखाना इस तरह तैयार किया गया कि उससे आसपास रहने वाले पुलिस कर्मी समुचित दूरी पर रहे और सतत निगरानी भी रखे। एसपी मीनू कुमारी ने बताया कि जूडिसियल मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में मालखाना का सत्यापन होता है। डीआईजी की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है। टीम की अनुमति पर समय-समय पर मादक पदार्थ को नष्ट किया जाता है। कोट उनके कार्यकाल तीन साल के दौरान एक भी शिकायत नहीं मिली है कि किसी थाना के मालखाना से कोई सामान गायब हुआ हो। थानों में मालखाना के सामानों की सूची रहती है। सुरक्षा को लेकर लगातार आदेश- निर्देश दिए जाते हैं। मीनू कुमारी, एसपी, खगड़िया।

chat bot
आपका साथी