हे, जगदंब अहीं अवलंब हमर
खगड़िया। आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना से वातावरण भक्तिमय हो चुका है। बीते मंगलवार को दुर्गा मंदिरों
खगड़िया। आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना से वातावरण भक्तिमय हो चुका है। बीते मंगलवार को दुर्गा मंदिरों का पट खुलते ही वातावरण भक्तिमय हो उठा है। बुधवार को दुर्गा मंदिरों में अल सुबह से लेकर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना को लेकर जुटी रही। मां के जयकारे से वातावरण गुंजायमान है। चप्पे-चप्पे में भक्ति की गंगा प्रवाहित हो रही है। जिला मुख्यालय स्थित सिद्धपीठ सन्हौली दुर्गा मंदिर से लेकर बड़ी दुर्गा स्थान बबुआगंज, नवयुवक संघ दुर्गा मंदिर लोहापट्टी, बड़ी सरस्वती स्थान आर्य समाज रोड आदि में अल सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना को जुटने लगे। परबत्ता के दुर्गा मंदिर डुमरिया खुर्द, चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी समेत अन्य दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। डीएम आलोक रंजन घोष ने विभिन्न दुर्गा मंदिरों का जायजा लिया। उन्होंने दुर्गा मंदिर परिसरों में कोरोना से बचाव को लेकर आयोजित टीकाकरण शिविरों का भी अवलोकन किया। वे श्रीराम मंदिर खजरैठा भी पहुंचे।
अष्टमी के दिन डाली संकल्प को लेकर दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। 'हे, जगदंब अहीं अवलंब हमर' की स्वरलहरियों के बीच श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। कुंवारी कन्या पूजन आज
जागरण टीम, खगड़िया: शारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मां दुर्गा कुंवारी कन्या के रूप में ही अवतार लिए हैं। जो सर्वशक्तिमान हैं। चर्चित श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर बिशौनी में कुंवारी कन्या पूजन की परंपरा सदियों पुरानी है। जिसे देखने के लिए मंदिर में भक्तजनों की अपार भीड़ उमड पडती हैं। यहां गुरुवार नवमीं के दिन कन्या पूजन का आयोजन किया गया है। श्री चतुर्भुजी दुर्गा मंदिर के पंडित डा. प्राण मोहन कुंवर व आचार्य उत्कर्ष गौतम उर्फ रिकु झा बताते हैं कि 10 वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्याएं मां दुर्गा के रूप में जानी जाती हैं। जो पूजनीय हैं। मां दुर्गा की साक्षात कृपा उनके ऊपर विराजमान रहती हैं। नवमीं के दिन मंदिर में करीब दो दर्जन से अधिक कुंवारी कन्याओं को भक्तजन नए कपड़े में सुशोभित करते हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने कतारबद्ध कर पैरों पर जल- फूल चढ़ाया जाता हैं। विधि विधान से कुंवारी कन्या का पूजन किया जाता हैं। खोइंछा भरने की परंपरा
कुंवारी कन्या पूजन के अवसर पर खोइंछा भरने की परंपरा है। कुंवारी कन्या को भक्तजन खोइंछा में कई तरह के मिष्ठान एवं द्रव्य देते हैं। खोइंछा भरने के लिए भी भक्तजनों की भीड़ उमड पडती हैं। इस मौके पर भक्तजन हाथ जोड़कर कन्या से हंसने के लिए विनती करते हैं। भक्तजनों की विनती पर कुंवारी कन्याएं हंसती हैं। कुंवारी कन्या की हंसी से मंदिर परिसर का वातावरण भक्ति में डूब जाता है। इस दुर्गा रूपी कन्या से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में भक्तजनों का सैलाब उमड़ पड़ता है।