डुमरिया खुर्द के मां दुर्गा की ख्याति दूर-दूर तक है

खगड़िया। दुर्गा पूजा पर हर जगह दुर्गा सप्तशती की गूंज सुनाई पड़ रही है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से माहौल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 09:14 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 09:14 PM (IST)
डुमरिया खुर्द के मां दुर्गा की ख्याति दूर-दूर तक है
डुमरिया खुर्द के मां दुर्गा की ख्याति दूर-दूर तक है

खगड़िया। दुर्गा पूजा पर हर जगह दुर्गा सप्तशती की गूंज सुनाई पड़ रही है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से माहौल भक्तिमय हो उठा है। कवेला पंचायत अंतर्गत डुमरिया खुर्द गांव स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर की अपनी ख्याति है। गंगा किनारे स्थित इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती ही जा रही है। ऐसी मान्यता है कि यहां फुलाइस के द्वारा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां 118 वर्षों से खुले मैदान में रामलीला का आयोजन हो रहा है। इस बार भी रामलीला का आयोजन किया गया है। पहले 10 दिनों तक रामलीला होता था। लेकिन अब इतने दिनों तक रामलीला नहीं होता है। इस बार तीन दिनों तक ही रामलीला होगा। रामलीला में ग्रामीण कलाकार ही भाग लेते हैं। डा. अविनाश कुमार ने कहा कि यहां खुले मैदान में रामलीला होता है। डा. रविद्र झा इस बार व्यास की भूमिका निभा रहे हैं। मेघनाद का रमेशचंद्र राय, राम का रामानंद झा, लक्ष्मण् का धीरेंद्र मिश्र भूमिका निभा रहे हैं। मां की महिमा हैं निराली

मंदिर के पुजारी वासुकी मिश्र ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1902 में हुई थी। पहले यह मंदिर वर्तमान स्थल से दो किलोमीटर पश्चिम में स्थित था। कटाव के कारण मंदिर गंगा में समा गया। कटाव से प्रभावित लोगों ने एक निश्चित स्थान पर आश्रय लिया। यहां नरसिंह लाला नामक व्यक्ति ने अस्थायी मंदिर बनाकर मां की पूजा अर्चना शुरु की। कालांतर में यह परिवार विस्थापित होकर भागलपुर तथा मुंगेर में बस गया। तब ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से मां दुर्गा को एक फूस के घर में स्थापित कर पूजा शुरु कर दिया। बाद में भव्य मंदिर बना। पंडित वासुकी मिश्र ने बताया कि वे 1976 से इस मंदिर में मां की पूजा करते आ रहे हैं।

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