एक अदद गोल पोस्ट तक नहीं, फिर भी खगड़िया की बेटियां रच रहीं कृतिमान

खगड़िया । अभी टोक्यो ओलिपिक में देश की महिला हाकी खिलाड़ियों की धूम मची हुई है। खगड़ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:41 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:41 PM (IST)
एक अदद गोल पोस्ट तक नहीं, फिर भी खगड़िया की बेटियां रच रहीं कृतिमान
एक अदद गोल पोस्ट तक नहीं, फिर भी खगड़िया की बेटियां रच रहीं कृतिमान

खगड़िया । अभी टोक्यो ओलिपिक में देश की महिला हाकी खिलाड़ियों की धूम मची हुई है। खगड़िया जैसे सुदूर इलाके में भी असुविधाओं के बीच यहां की महिला हाकी खिलाड़ी नित्य नए कृतिमान रच रही हैं। एस्ट्रो टर्फ, गोल पोस्ट, ग्रेफाइट हाकी स्टिक आदि के अभाव के बीच खेलते हुए भी जिले की नवनीत कौर, अंजू कुमारी, नाजरीन आगा, रिमझिम कुमारी नेशनल प्रतिस्पर्धा में स्थान पा चुकी हैं। रिमझिम का साईं कोलकाता में चयन हुआ है। 12 साल पहले महिला हाकी टीम का किया गया था गठन

हाकी के कोच विकास कुमार कहते हैं- 12 साल पहले जब यहां महिला हाकी टीम का गठन किया था, तो यह उम्मीद नहीं थी कि संसाधनों के अभाव के बीच भी यहां की बेटियां इतनी ऊंचाई तक पहुंचेंगी। सामाजिक ताने- बाने, साधन, सुविधा के अभाव के बीच यहां की खिलाड़ी सफलता के परचम लहरा रही हैं। हाकी की बदौलत खुशबू कुमारी व रीना कुमारी आज बिहार पुलिस में सेवा दे रही हैं। वर्तमान में 30 से ज्यादा महिला हाकी खिलाड़ी कोसी कालेज के मैदान में नियमित अभ्यास कर रही हैं। हां, कोरोना के कारण उनके प्रदर्शन, मैचों पर अवश्य असर पड़ा है। हाकी को लेकर ढंग का मैदान तक नहीं, फिर भी राष्ट्रीय स्तर तक का जारी है सफर

10 बार की राष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी नवनीत कौर कहती है- क्या खेलूंगी, यहां न एक हाकी मैदान, न गोल पोस्ट है। इनकी व्यवस्था खेल अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के एजेंडे से गायब है। तीन बार नेशनल खेल चुकी नाजरीन आगा कहती हैं- कभी-कभी निराशा होती है। अभी भी हमारा समाज खेलोगे, कूदोगे होगे खराब के माइंड सेट से मुक्त नहीं हुआ है। शायद इसलिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि खेल की ओर ध्यान नहीं देते हैं। खगड़िया की बेटियां अपने दम पर परचम लहरा रही है। कोट

अब तक सिर्फ नगर परिषद की ओर से 2014 और 2017 में दो बार हाकी स्टिक, गोल कीपर किट आदि कि मदद मिली थी। खेल को लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का रवैया उदासीन है।

विकास कुमार, हाकी कोच। कोट

लोकल लेवल पर प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन इनके विकास को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है। सरकारी उदासीनता इसका मुख्य कारण है। स्कूली लेवल पर जो गेम होता है वहां व्यापक भ्रष्टाचार है। खगड़िया की बेटियां आज हाकी समेत अन्य खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर रही है। उन्हें समुचित साधन-सुविधा मिले, तो वे और बेहतर कर सकती है।

रविशचंद्र, अध्यक्ष, खेल महासंघ, खगड़िया। कोट

अगर आवेदन मिलेगा, तो खेल और खिलाड़ियों के विकास को लेकर हरसंभव मदद दी जाएगी।

आलोक रंजन, मंत्री, युवा खेलकूद एवं कला संस्कृति, बिहार सरकार।

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